श्रीकिशोर शाही
मुंबई
प्राचीन काल से इंसान संपत्ति के लिए अपनों का रक्त बहाने से बाज नहीं आया है। आज सूचना के इस युग में ऐसी घटनाएं हमेशा मीडिया की सुर्खियां बनती रहती हैं। ऐसी ही एक घटना हाल ही में बागपत में घटी। गत सप्ताह संपत्ति विवाद में लुहारी गांव में एक युवक ने अपने पिता की फावड़े से हत्या कर दी। यही नहीं, घटना के बाद आरोपी ने कोतवाली जाकर समर्पण भी कर दिया। मामला संपत्ति विवाद का था। छोटे बेटे को लग रहा था कि पिता ने बड़े बेटे को ज्यादा संपत्ति दे दी है इसलिए वह नाराज रहता था। गत सप्ताह पिता जब नलकूप पर गया तो छोटा बेटा भी वहां पहुंच गया और अपने पिता के सिर में फावड़ा मारकर उनकी हत्या कर दी।
कुछ ऐसी ही घटना १३ साल पहले मध्य प्रदेश में भी घटी थी। वहां भी एक हत्यारे बेटे ने अपने मां-बाप की हत्या कर उनकी लाश को बागीचे में दफन कर दिया था। बाद में उसने अपनी प्रेमिका की भी हत्या कर दी। प्रेमिका की हत्या के आरोप में जब वह पकड़ा गया, तब जाकर माता-पिता की हत्या का राज भी खुला।
हत्यारे बेटे ने रायपुर के सुंदरनगर में अपने माता-पिता की २०११ में हत्या की फिर उसी बंगले के बागीचे में दोनों को दफना भी दिया। दास परिवार २००८ में सुंदरनगर का यह बंगला खरीदकर उसमें शिफ्ट हुआ था। यहां शिफ्ट होने के बाद परिवार ने पड़ोसियों से न कभी बात की, न किसी से संबंध रखा। माता-पिता की हत्या के बाद बेटे ने २०१२ में मां की डेथ सर्टिफिकेट लगाकर यह मकान अपने नाम पर करवा लिया। इसके बाद २०१३ में यह मकान शांतिनगर के एक वकील ने ३१ लाख रुपए में खरीद लिया। मकान खरीदनेवाले वकील ने कहा कि बेटे (आरोपी) को तो उन्होंने भी कभी देखा नहीं था। बेटे ने भोपाल पुलिस को माता-पिता की हत्या करके रायपुर के जिस मकान में दफनाने की बात बताई थी, वह मकान तीन साल पहले शांतिनगर में रहनेवाले वकील ने खरीदा था। इसके बागीचे में दो लोगों की दफन होने की बात पता चलने के बाद उनका परिवार भी बेचैन हो गया। आरोपी ने भोपाल पुलिस को बताया कि रायपुर में माता-पिता से उसका अकसर विवाद होता था। इस वजह से उसने २०११ में दोनों को घर के भीतर ही मार डाला। चूंकि इस परिवार का पड़ोसियों से कोई ताल्लुक नहीं था, यहां कोई रिश्तेदार भी नहीं था इसलिए किसी को इसकी भनक नहीं लगी। बेटे ने बागीचे वाली जगह पर दोनों को दफनाया और कुछ दिन तक वहीं रहा। इसके बाद उसने पुरानी बस्ती के अपने एक परिचित को बताया था कि आगे की पढ़ाई के लिए भोपाल जा रहा है। वह भोपाल चला गया और कभी-कभी यहां आता रहा। इस कांड के कुछ समय बाद फिल्म ‘दृश्यम’ आई थी, जिसमें कुछ इसी तरह के दृश्य थे।