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पुराने पन्ने : खत्म नहीं हुआ टिल्लू गैंग!

 

श्रीकिशोर शाही मुंबई
किसी समय दिल्ली के आसपास के इलाके में आतंक का पर्याय बन चुका टिल्लू गैंग एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। दो दिन पहले दिल्ली पुलिस ने इस गैंग के कुछ बदमाशों को गिरफ्तार किया है। उनके पास से कुछ खतरनाक हथियार जप्त किए गए हैं। पता चला है कि गैंग के ये सदस्य हथियारों की तस्करी कर रहे थे। आमतौर पर गैंग के मुखिया के मारे जाने के बाद कोई भी गैंग टूट-फूट के साथ छिन्न-भिन्न हो जाता है। ऐसे में लोगों का यही मानना था कि खतरनाक टिल्लू गैंग भी खत्म हो गया है। मगर ऐसा लगता है कि टिल्लू गैंग अभी खत्म नहीं हुआ है और अभी भी एक्टिव है। आपको याद होगा कि करीब डेढ़ साल पहले सुरक्षित माने जानेवाले तिहाड़ जेल में टिल्लू गैंग के सरगना टिल्लू ताजपुरिया को घेरकर चाकुओं से गोद डाला गया था और यह सारा तमाशा जेल के सीसीटीवी में कैद हो गया था।
वह २ मई, २०२३ की सुबह थी। दिल्ली का तिहाड़ जेल गैंगस्टरों की गैंगवार का अखाड़ा बन गया था। जेल के अलग-अलग हिस्सों से आए कुछ बदमाशों ने टिल्लू ताजपुरिया को घेर लिया और एक के बाद चाकुओं के कई वार किए। पहली बार जेल में इस तरह से लाइव मर्डर रिकॉर्ड हो गया। दिल्ली की सबसे सुरक्षित मानी जानेवाली तिहाड़ जेल में घटित इस दृश्य को जिस किसी ने भी देखा वो हैरान रह गया। ऐसा लग रहा था, मानो वह किसी बॉलीवुड फिल्म का सीन हो। टिल्लू की हत्या करनेवाले गोगी गैंग के सदस्य थे। उसमें से एक तो चादर से लटक कर ऊपरी मंजिल से उतरा था। उन्होंने बदले के तहत यह कार्रवाई की थी। इसकी तैयारी काफी पहले से की जा रही थी। प्लानिंग के तहत जेल में चाकू मंगवाया गया था। दरअसल, जेल के भीतर हुए इस गैंगवार की घटना की जड़ें सितंबर २०२१ में रोहिणी कोर्ट में हुए गैंगवार से जुड़ी हुई थीं। उस दिन कोर्ट में दो बदमाशों ने जितेंद्र गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। दोनों बदमाश वकील की ड्रेस में कोर्ट में दाखिल हुए थे और गोगी को मौत के घाट उतार दिया था। इन दोनों ही बदमाशों को टिल्लू ताजपुरिया ने भेजा था। इसके बाद से ही गोगी गैंग के सदस्य अपने मुखिया की हत्या का बदला लेने की फिराक में थे। गैंगस्टर टिल्लू ताजपुरिया और जितेंद्र गोगी की दुश्मनी का इतिहास पुराना है। दिल्ली के स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज में पढ़ने के दौरान दोनों काफी अच्छे दोस्त हुआ करते थे। फिर छात्र यूनियन के चुनाव ने दोनों के बीच दरार डाल दी। बाद में दोनों ने अपना-अपना गैंग बना लिया और फिर उनके बीच गैंगवार शुरू हो गया। दोनों ही गैंग के कई बदमाश मारे गए। इस गैंगवार का ही नतीजा था कि २०२१ में जहां टिल्लू गैंग ने जितेंद्र गोगी को मौत के घाट उतारा, वहीं दो साल बाद गोगी गैंग के सदस्यों ने टिल्लू ताजपुरिया की हत्या कर दी। इस तरह दोनों प्रतिद्वंद्वी ग्रुप ने सामनेवाले गिरोह सरगना की हत्या कर दी। इसके बाद भले ही दोनों सरगना खत्म हो गए पर अभी भी बचे हुए सदस्य अपने गैंग सरगना के नाम पर ही गिरोह चला रहे हैं।

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