– संगठन के कार्य या मंत्रिमंडल में होना चाहते थे शामिल?
– प्रधानमंत्री के कहने पर हुए राजी?
रमेश ठाकुर/नई दिल्ली
राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र से चुने गए लोकसभा सदस्य ओम बिरला को बेशक दोबारा लोकसभा अध्यक्ष बनाया गया हो। पर, वह इस पद पर दोबारा आसीन नहीं होना चाहते थे।
वह सांसद बनकर संगठन में काम करना चाहते थे या फिर मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा बनने के इच्छुक थे। लेकिन सवाल यही है कि मोदी युग में भला किसकी चलती है? ओम बिरला के समर्थक और करीबी सूत्र बताते हैं कि बिरला प्रदेश का नेतृत्व राष्ट्रीय स्तर पर करके के बहुत इच्छुक थे। उनकी पहली ख्वाहिश भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की थी। इसके अलावा वह केंद्रीय मंत्री भी अगर बनाए जाते तो उन्हें और ज्यादा खुशी होती। सूत्र ये भी बताते हैं कि ऐन वक्त में भी उन्होंने भाजपा के शीर्ष को अपनी इच्छा से अवगत करवा दिया था।
पता चला है कि बिरला के संदेश को प्रधानमंत्री तक भी पहुंचाया गया था, जिसे प्रधानमंत्री ने सिरे से नकार दिया था। प्रधानमंत्री का मानना है कि बिरला के पास संसदीय प्रक्रिया का अनुभव दूसरे सांसदों से कहीं ज्यादा है। प्रधानमंत्री जानते हैं कि मौजूदा परिस्थितिया पिछले टर्मों के मुकाबले अलग भी हैं। अब विपक्ष भी मजबूत है। इसलिए उनसे मुकाबले के लिए ओम बिरला जैसे अनुभवी सांसद का लोकसभा अध्यक्ष होना जरूरी है। सूत्र बताते हैं ओम बिरला को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोबारा लोकसभा अध्यक्ष बनने के लिए राजी करना पड़ा।