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जेजे अस्पताल में इमारत निर्माण पर विपक्ष ने सवालों की लगाई झड़ी… जवाब देने में सरकार के छूटे पसीने

– कहा- समिति कर रही है जांच…रिपोर्ट के बाद होगी कार्रवाई

सामना संवाददाता / मुंबई

राज्य सरकार द्वारा संचालित जेजे अस्पताल के रख-रखाव और मरम्मत कार्य में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर विपक्ष ने सरकार को जोरदार तरीके से घेरते हुए सवालों की बौछार कर दी। जवाब देने में शिंदे सरकार के संबंधित मंत्री के पसीने छूट गए। सार्वजनिक लोक निर्माण मंत्री रवींद्र चव्हाण ने विधान परिषद में कहा कि अस्पताल के परिसर में इमारतों के रखरखाव और मरम्मत के २०२३ से पहले के कार्यों में से ९० कार्यों का भुगतान किया जा चुका है। साथ ही शेष पूर्ण कार्यों के लिए निधि की उपलब्धता के अनुसार, भुगतान किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने लिखित जवाब में कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच समिति कर रही है और रिपोर्ट मिलने के बाद कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्ष के विधायक सुनील शिंदे ने विधान परिषद में न केवल लिखित, बल्कि मौखिक सवाल भी पूछा था कि जेजे समूह अस्पताल की इमारतों की देखभाल और रखरखाव के कागजातों को दिखाते हुए ३४ करोड़ रुपए की अदायगी प्रस्तुत की गई। इस काम को आवंटित करते समय कार्य का आवंटन मानकों के अनुसार ३३ फीसदी काम शिक्षित बेरोजगार इंजीनियरों को ३३ फीसदी काम मंजूर संस्थाओं और शेष काम को खुली निविदा द्वारा नहीं किया गया। इस प्रकार शासनादेश का एक तरह से उल्लंघन हुआ है। कोरोना के कारण साल २०२१ और २०२२ में निधि उपलब्ध नहीं हो सकी। इसके चलते मार्च के आखिर में निधि मिली और काम शुरू करने का आदेश एक मार्च २०२३ को दिया गया। हालांकि, इसका जवाब निर्माण कार्य विभाग ने सही से नहीं दिया है। इस तरह के कई आरोप विपक्ष ने लगाए। इसका जवाब देते हुए निर्माण कार्य मंत्री रविंद्र चव्हाण ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों की इमारत निर्माण कार्य के संबंध में फरवरी २०२४ में प्राप्त शिकायत की जांच करने का आदेश सतर्कता और गुणवत्ता नियंत्रण बोर्ड, नासिक को दिया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी जांच रिपोर्ट मिलने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जेजे में हैं इतनी इमारतें
मंत्री चव्हाण ने कहा कि जेजे समूह अस्पताल परिसर में कुल ९३ अस्पताल और सरकारी इमारतें हैं। ८१ इमारतों के ७५ वर्ष पूरे हो चुके हैं। कोरोना काल में ये इमारतें २४ घंटे काम कर रही थीं। साल २०२३ से पहले इन इमारतों के रखरखाव और मरम्मत के कुल ८५० अलग-अलग काम किए गए। उनमें से ९० का भुगतान कर दिया गया।
साल २०२३ के बाद के कार्य नहीं हैं शामिल
मंत्री चव्हाण ने कहा कि इसमें २०२३ के बाद के कार्यों का भुगतान शामिल नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन कार्यों में ३४ करोड़ की हेराफेरी की शिकायत की भी जांच की जा रही है। जांच में अगर कोई दोषी पाया गया तो उचित कार्रवाई की जाएगी।

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