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दीपावली पर मुस्लिम महिलाओं ने उतारी प्रभु श्रीराम की आरती, नफरत फैलाने वालों को दिया कड़ा संदेश

उमेश गुप्ता/वाराणसी

एक तरफ पूरे देश में जिहादियों ने नफरत का वातावरण बना रखा है। कहीं धार्मिक शोभयात्राओं पर पत्थर फेंके जा रहे हैं, कहीं प्रकाश करने से रोका जा रहा है, कहीं जलते हुए दीए को जूते से कुचला जा रहा है और नफरत फैलाकर देश को तोड़ने की साजिश हो रही है। वहीं दूसरी तरफ लमही के सुभाष भवन में मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में सैकड़ों की संख्या में जुटीं मुस्लिम महिलाओं ने नफरती जिहादियों को काशी से करारा जबाव दिया। थाली में सजे सजावटी दीप, रोरी और अक्षत के साथ मिठाई का टुकड़ा किसी अपने प्रिय के इंतजार का सबसे सुंदर प्रतीक है। हो भी क्यों न, भगवान श्रीराम का आगमन 500 वर्षों बाद जो अयोध्या में हुआ है। जब 14 वर्षों बाद प्रभु श्रीराम अयोध्या लौटे थे, तब भारत के लोगों ने खुशियों से अपने घर को प्रकाशित किया था। भारत की संस्कृति की आत्मा प्रभु श्रीराम सबके हृदय में हैं और सबको उनके आगमन का इंतजार रहता है तो इससे मुस्लिम महिलाएं क्यों अछूती रहेंगी।

मुस्लिम महिलाओं ने अपने हाथों से रंगोली बनाई, भगवान श्रीराम की प्रतिमा को पुष्पों से सजाया और उर्दू में लिखी राम आरती का गायन करते हुए भगवान की आरती उतारी। जलते हुए दीयों से जब भगवान श्रीराम की आरती की जा रही थी तब यह संदेश पूरी दुनिया को जा रहा था कि राम नाम का दीपक ही दुनिया से नफरत के अंधकार को खत्म कर सकता है। पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी महाराज ने श्रीराम स्तुति की, आरती में मुस्लिम महिलाओं का साथ दिया और भेदभाव खत्म करने का संदेश दिया।

हिन्दू और मुसलमानों को एक दूसरे के करीब लाने, दिलों को जोड़ने और सांस्कृतिक एकता की स्थापना के लिये मुस्लिम महिलाओं का यह प्रयोग सबसे कारगर साबित हुआ। मुस्लिम महिलाएं वर्ष 2006 से भगवान श्रीराम की आरती कर सांप्रदायिक एकता और सौहार्द्र का संदेश देती आ रही हैं। मुस्लिम महिलाओं की सर्वोच्च नेता नाजनीन अंसारी ने फिलिस्तीन, इजराइल, लेबरान, सीरिया, यूक्रेन और रूस के राष्ट्राध्यक्षों को चिट्ठी लिखकर भगवान श्रीराम भक्ति का प्रचार-प्रसार करने की सलाह दी है। इससे युद्ध खत्म होंगे, शांति आएगी और देश के नागरिक मानवता का पाठ सीखेंगे।

सुभाष भवन में हो रही श्रीराम आरती युद्धरत देशों को यही संदेश दे रही थी कि अगर शांति, सौहार्द्र, प्रेम और सद्भावना आपस में और देशों में चाहिए तो राम का नाम अनिवार्य रूप से लें ताकि उनके देश के नागरिकों में प्रभु श्रीराम का चरित्र विकसित हो सके।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि हर पंथ और मजहब अपने सिद्धांतों और नियमों में इतने कड़े हैं कि मानवता का पाठ ही भूल गए। उन्होंने अपने तरीके से न रहने वालों को अस्वीकार कर दिया, लेकिन भगवान राम ने सबको हृदय से लगाया और सबको स्वीकार किया। इसलिए प्रत्येक देश को अपने यहां राम के महान आदर्शों को अपना कर शांति स्थापित करें और नैतिक बल पर मानवता की रक्षा करें। मुस्लिम महिलाओं का यह प्रयास दिलों को जोड़ने वाला है।

मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी ने कहा कि शांति स्थापना के लिये अनिवार्य शर्त भगवान श्रीराम के आदर्श और रामराज्य हैं। रामराज्य की परिकल्पना लोगों को भेदभाव से मुक्त कर सकती है और सबको गले से लगाकर स्वीकार कर सकती है। इजराइल और फिलिस्तीन दोनों को भगवान श्रीराम के रास्ते पर चलना चाहिए। यदि भारत का मुसलमान सबके बीच में प्रिय होना चाहता है तो अपने घरों में राम के चरित्र की शिक्षा दे। मजहब केवल अलग है लेकिन भारत का हर मुसलमान पूर्वजों, परम्पराओं और संस्कृति से एक ही है। भगवान राम ही पूरी दुनियां के पूर्वज हैं। उनके रास्ते पर चलकर ही दिलों में प्रेम और भावना विकसित होगी। अब रामभक्ति का प्रसार मुस्लिम देशों में हो और दुनियां को शांति के रास्ते पर जाने में मदद मिले।

हिन्दू मुस्लिम संवाद केंद्र की चेयरपर्सन डॉ० नजमा परवीन ने कहा कि नफरत को खत्म करने वाली संस्कृति सिर्फ भारत की संस्कृति है क्योंकि यहां की आत्मा में राम बसते हैं। जो देश या व्यक्ति राम से दूर होगा उसकी दुर्गति निश्चित है।

विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि हिन्दू और मुसलमानों के दिलों के बीच प्रेम और सद्भवना का रामसेतु बनाना होगा। प्रभु श्रीराम को लेकर दुनियां के लोग विचार कर रहे हैं। अपने परिवार और देश को बचाने के लिये राम नाम का ही सहारा है। प्रेम, शांति और रिश्तों को मजबूत करने के लिये बचपन से राम के चरित्र की शिक्षा दे ताकि बच्चे भी अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा को अपना कर्तव्य समझें। राम के सिवा दुनियां के पास अब कोई रास्ता नहीं बचा है।

इस कार्यक्रम में डॉ० अर्चना भारतवंशी, डॉ० मृदुला जायसवाल, आभा भारतवंशी, खुर्शीदा बानो, रौशनजहां, नूरजहां, हफिजुननिशा, अजीजुननिशा, सायना, नरगिस, रुकैया बीबी, जुलेखा बीबी, नगीना बेगम, सरोज, गीता, पूनम, उर्मिला, किसुना, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता भारतवंशी आदि लोग शामिल रहीं।

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