सामना संवाददाता / मुंबई
महंगाई के कारण आम नागरिकों का बजट पूरी तरह चरमरा गया है। इसी महंगाई का असर विधानसभा चुनाव पर भी पड़ा है। चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशी जहां प्रचार की तैयारी कर रहे हैं, वहीं प्रचार सामग्रियों की खरीदारी में उन्हें बढ़ी हुई कीमत चुकानी पड़ रही है। जल्द खराब न होने वाली वस्तुओं पर २५ फीसदी तक सीमा शुल्क बढ़ाया गया है। इससे प्रचार सामग्री भी २५ फीसदी तक महंगी हो गई हैं, इसमें १५ फीसदी की बढ़ोतरी लोकसभा चुनाव के बाद हुई हैं।
मतदाताओं ने शुरू किया प्रचार
बता दें कि विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार शुरू हो गया है और उम्मीदवारों ने अधिक मतदाताओं तक पहुंचने के लिए जमकर प्रचार करना शुरू कर दिया है, इसलिए बाजारों में दिवाली सामाग्रियों के साथ-साथ कई दुकानें प्रचार सामग्री से भी सजी हुई हैं। इसमें प्लेकार्ड, फ्लेक्स, झंडे, पार्टी स्कार्फ जैसी सामग्रियां शामिल हैं। स्टार मिलिया, होर्डिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रकार का कपड़ा, कोरिया से आयात किया जाता है। इसके १८०, २२०, ३४० मोटाई (जीएसएम) वेरिएंट हैं। प्रचार सामग्री के लिए इस्तेमाल होने वाली बुनियादी वस्तुओं पर सीमा शुल्क में २५ फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। इसका असर प्रचार सामग्री की कीमत पर पड़ा है।
टोपी और गमछे की सेल बढ़ी
चुनाव प्रचार सामग्री के साथ-साथ गर्मी के कारण टोपियां और गमछे की सेल बढ़ गए हैं। टोपियां धूप से बचाती हैं। यही कारण है कि लोग रैलियों और रोडशो में धूप से बचने के लिए इसे लगाते हैं। इसके अलावा कई जगहों पर पार्टियों के चिन्ह और कलर वाले गमछे भी खूब बिक रहे हैं। ये पसीना पोंछने के काम आते हैं। साथ ही झंडे तो सदाबहार होते ही हैं। इनकी तो हर चुनाव में अच्छी सेल होती है।
झंडे के कपड़ों के दाम भी बढ़े
लोकसभा चुनाव के दौरान १० बाई १० के बोर्ड की कीमत करीब १,१०० से १,२०० रुपए थी। उसी साइज के बोर्ड की कीमत अब डेढ़ हजार है। प्रचार में फहराए जाने वाले झंडे के कपड़ों के दाम भी बढ़ गए हैं, इसके चलते पार्टी के झंडे और बैनर की कीमतें भी बढ़ गई हैं।