सामना संवाददाता/ मुंबई
150 से अधिक वर्षों की परंपरावाली मराठी रंगभूमि कई चुनौतियों का सामना करते हुए खड़ी हैं। कलाकार, लेखक और तकनीशियन अपने ऐतिहासिक अस्तित्व को बनाए रखने के लिए प्रयास करना जारी रखेंगे, ऐसा मराठी रंगभूमि दिवस समारोह में गणमान्य व्यक्तियों ने आव्हान किया।
राज्य थिएटर प्रतियोगिता में लगातार पांच बार प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले और छठे नामांकन की प्रतीक्षा कर रहे विघ्नहर्ता प्रतिष्ठान की ओर से मंगलवार को माटुंगा के यशवंत चव्हाण थिएटर में मराठी रंगभूमि दिवस का धूमधाम से समापन हुआ। विघ्नहर्ता प्रतिष्ठान में मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ लेखक और आलोचक दत्ता सावंत, अनुभवी नाटक लेखक काशीनाथ मटाल, शौकिया रंगमंच के आंदोलन के प्रति समर्पित नाटककार रवि वाडकर उपस्थित थे।
मराठी रंगमंच दिवस के अवसर पर लंबे समय से रंगमंच में काम कर रहे मंच कलाकार बाबा निवतकर, अरविंद रुंकर, संतोष चव्हाण, श्याम जावकर, संतोष सामंत, अशोक प्रधान को अतिथियों ने शॉल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया लेखन प्रतियोगिता के प्रथम विजेता मुंबई के मैदान बचाव आंदोलन के प्रणेता भास्कर सावंत को मंत्रोच्चार के साथ सम्मानित किया गया। कविता वाचन प्रतियोगिता की प्रथम विजेता स्वाति शिवशरण, द्वितीय विजेता सागर सोनावणे और उत्तेजनार्थ मकरंद हल्दनकर रहे। अतिथियों द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। लेखिका कवि विद्या निकम और कवि नंदकुमार सावंत ने परीक्षक की भूमिका निभाई। इस अवसर पर अध्यक्ष दत्ता मोरे ने कहा, हम रंगमंच से जुड़ी कला प्रतियोगिताएं लेकर जानकार कलाकार तैयार करने का काम कर रहे हैं! लेखक दत्ता सावंत ने मराठी रंगमंच दिवस के महत्व का वर्णन करते हुए कहा, “सीता स्वयंवर” वर्ष 1843 में सांगली में पहला नागरिक प्रयोग था। यह दिन महान निकतकर विष्णुदास भावे की याद में मनाया जाता है। उपराष्ट्रपति द्वारा धन्यवाद दिया गया राज जैतपाल, संस्था के विजय साकरे, अमन दलवी, जयवंत सातोस्कर आदि का सहयोग रहा, वरिष्ठ रंगकर्मी, फिल्म एवं धारावाहिक कलाकार राघव कुमार की उपस्थिति महत्वपूर्ण रही हैं।