उमेश गुप्ता / वाराणसी
मौनी अमावस्या के अवसर पर काशी के सभी प्रमुख घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। बुधवार की भोर से ही भक्तों द्वारा स्नान, दान का सिलसिला जारी रहा। सुबह से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। स्नान-दान और अनुष्ठान के बाद लोग बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने के लिए निकले।
इस दौरान शूलटंकेश्वर से लेकर कैथी तक सभी घाटों पर श्रद्धालुओं का संगम नजर आया। उधर विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों की लंबी कतारें लगी रहीं। प्रयागराज महाकुंभ में हुए हादसे को देखते हुए काशी में प्रशासन पूरी तरह चौकस रहा। ज्योतिष के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या पर चार योग बने हैं, जबकि श्रवण नक्षत्र भी है। मकर राशि में सूर्य, चंद्रमा और बुध के एक साथ होने से त्रिग्रही योग बना है। ज्योतिष में इस योग को बहुत ही शुभमाना जाता है। ऐसे में आज शिववास, सिद्धि, वृषभ गुरु और वज्र योग बना है। इस योग में काशी में स्नान, दान करने के लिए लाखों
बता दे कि मौनी अमावस्या पर मान्यतानुसार, पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस मास को भी कार्तिक के समान पुण्य मास कहा गया है। गंगा तट पर इसी कारण श्रद्धालु एक महीने तक कुटी बनाकर गंगा स्नान और ध्यान करते हैं। इस मास में संगम स्नान अन्य युगों से अनंत पुण्यदायी होता है। इस तिथि को पवित्र नदियों में स्नान के पश्चात अपने सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिए। इस दिन तिल दान भी उत्तम कहा गया है। इस तिथि को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है अर्थात मौन अमवस्या, चूंकि इस व्रत में व्रत करने वाले को पूरे दिन मौन व्रत का पालन करना होता इसलिए यह योग पर आधारित व्रत कहलाता है।