-घाती सरकार ने इस बार भी जबरन बंद करवाई रामलीलाएं
-शिंदे की सभा से आयोजक नाराज
रामदिनेश यादव / मुंबई
दक्षिण मुंबई का आजाद मैदान कभी रामलीलाओं के लिए मशहूर हुआ करता था। यहां रामलीला के तीन अलग-अलग मंच और दशहरा के दिन रावण दहन के साथ भव्य मेला लगता था, लेकिन इन दिनों तथाकथित हिंदूवादी महायुति सरकार ने यहां से रामलीलाओं के मंचन का ही दहन कर दिया है। राम के नाम की दुहाई देने वाली शिंदे सरकार ने ऐसा माहौल बनाया, मैदान की स्थिति इतनी खराब कर दी कि रामलीला आयोजक खुद ही यहां से हटने को मजबूर हो गए। तो कुछ को अपने कार्यक्रम ही बदलने पड़ गए। ऐसा ही चलता रहा तो आजाद मैदान की यह रामलीला की परंपरा दम तोड़ देगी। इस तरह घाती सरकार ने रामलीला से भी घात कर दिया है।
कुछ दिनों पहले भाजपा के मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा ने रामलीला आयोजक की बैठक में आजाद मैदान में रामलीला मंचन के लिए जमीन दुरुस्त करने सहित तमाम सुविधा देने के नाम पर हाथ खड़े कर लिए, जिसके चलते खराब मैदान में घुटनों तक जगह-जगह पानी भरा रहा, आने-जाने के लिए रास्ते दुरुस्त नहीं, घास और पौधे कचरे की तरह थे। सरकार की ओर से कोई आस नहीं दिखते रामलीला आयोजकों ने बीएसएनएल बिल्डिंग के सामने फुटबॉल मैदान में गुजारिश कर किसी तरह आयोजन किया है, लेकिन आश्चर्य है कि यही सरकार रामलीला के लिए ५० ट्रक मिट्टी भी नहीं गिरा रही थी, लेकिन यहां एकनाथ शिंदे गुट की दशहरा रैली के लिए ५०० से अधिक ट्रक मिट्टी गिराई गई है। मिट्टियों का अंबार लगा है। यह मैदान पूरा दुरुस्त किया जा रहा है।
एक दिन पहले किया रावण दहन
रामलीला के आयोजन के लिए कोई सुविधा देने के नाम पर यह ‘राम’ नाम की सरकार हाथ खड़े करती है, लेकिन राजनीतिक रैली के लिए सरकार के पास इतने पैसे और संसाधन कहां से आ जाते हैं?
बता दें कि पिछले साल मुख्यमंत्री शिंदे ने यहां दशहरा के दिन सभी कार्यक्रमों को रद्द करवाकर अपनी पार्टी की जनसभा की। रामलीला आयोजकों ने भी उनकी बात को स्वीकार किया और लगभग ७० साल पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए एक दिन पहले ही रावण दहन करवा दिया। अब इस साल एक साजिश के तहत मैदान को खराब बनाया गया। मेट्रो निर्माण के दौरान यहां बड़े-बड़े गड्ढे हुए, जिसे पाटने की बजाय वैसे ही छोड़ दिया गया और यहां की हालत देख व सुविधाओं के अभाव में रामलीला आयोजक खुद मैदान छोड़ने को मजबूर हो गए।
राम मंदिर बनाने का झूठा श्रेय लेने वाले और खुद को रामजादे कहने वाले असली रामभक्तों की भावना से खिलवाड़ राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं, ताकि उनकी रैली हो सके। वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़कर रामलीला का समापन समय से पहले कराने की साजिश मंत्रायल में बैठकर रची जा रही है।
-संदीप शुक्ला, उपाध्यक्ष-श्री महाराष्ट्र रामलीला मंडल