• एक महीने में गई १.२ फीसदी नौकरियां
हर साल दो करोड़ नौकरियों देने का केंद्र सरकार का वादा आम जनता के लिए छलावा ही साबित हुआ है। चंद हजार नौकरियों से इस विशाल जनसंख्या वाले देश का कुछ नहीं होनेवाला है। हाल ही में २०२४ के चुनाव को देखते हुए एक मेगा इवेंट आयोजित करके पीएम नरेंद्र मोदी ने कुछ हजार लोगों को नौकरियों के नियुक्ति पत्र बांटे। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान ही कहा जाएगा। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में इस समय करीब १० करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें नौकरियों की सख्त आवश्यकता है। ये लोग अस्थाई काम करके किसी तरह अपना परिवार चला रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस समय देश में २५ से २९ वर्ष आयु वर्ग के २३.२२ प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। ऐसे में कहा जा सकता है कि देश में एक चौथाई युवा बेरोजगार हैं। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय द्वारा जारी ‘स्टेट ऑफ वर्विंâग इंडिया २०२३’ रिपोर्ट के मुताबिक, युवा स्नातकों के बीच बेरोजगारी दर ४२.३ फीसदी के उच्च स्तर पर है।
कुछ दिनों पूर्व आई ब्लूमबर्ग के अध्ययन में सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के जुलाई के आंकड़ों का हवाला दिया गया था जिसमें कहा गया है कि जुलाई २०२३ तक देश की कुल बेरोजगारी दर ७.९५ प्रतिशत थी। पिछले १० वर्षों में यह सबसे ज्यादा थी। इसका सीधा मतलब है कि जुमलेबाजी में व्यस्त केंद्र की भाजपा सरकार रोजगार के मामले में फेल साबित हो रही है। अब एक नया आंकड़ा बता रहा है कि गत जुलाई महीने में नई औपचारिक नौकरियों के सृजन में गिरावट आई है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के गत सप्ताह के आंकड़े के मुताबिक यह श्रम बाजार में ठहराव का सूचक है। असल में ईपीएफओ द्वारा भी नए रोजगार का पता चलता है। नई नौकरियों के मामले में ईपीएफओ में नए खाते खोले जाते हैं। अगर खाता ज्यादा खुला तो इसका अर्थ होता है कि नई नौकरियां ज्यादा मिलीं, जबकि अगर खाता कम खुलता है तो इसका सीधा अर्थ है कि नौकरियां कम मिली हैं।
इसके अनुसार, ईपीएफओ के नए सदस्यों की संख्या जुलाई में बीते माह की तुलना में १.२ प्रतिशत गिरकर १०.२ लाख हो गई, जबकि यह जून में १०.३ लाख थी।
असल में जुलाई में कुल १०,२७,१४५ नए सदस्य जुड़े थे। इसमें १८-२८ साल की आयु के युवा सदस्यों की हिस्सेदारी जून की तुलना में जुलाई में ८.३ प्रतिशत (७,०१,३१५) बढ़ी थी। यह महत्त्वपूर्ण आंकड़ा है क्योंकि यह आयु वर्ग पहली बार श्रम बाजार में आया है। यह रोजगार की प्रगति का भी सूचक है। हालांकि, रोजगार पाने वाली महिलाओं का प्रतिशत २६.८ प्रतिशत गिर गया। जुलाई में रोजगार पाने वाली महिलाओं की संख्या २,७४,९६७ थी, जबकि यह संख्या बीते महीने २,८६,९८४ थी। टीम लीज सर्विसेज की सह संस्थापक ऋतुपर्णा चक्रवर्ती ने कहा कि नए वित्त वर्ष की शुरुआत में कंपनियां आमतौर पर श्रमबल की जरूरत का समग्र नजरिया तैयार करती हैं, जिससे नई भर्तियों को बल मिलता है। उन्होंने कहा कि इसमें जुलाई में कुछ गिरावट आई।
इस महीने की शुरुआत में भर्तियों को जो बल मिला है, उसके त्योहारी मौसम शुरू होने के कारण अल्प से मध्यम अवधि तक जारी रहने की उम्मीद है। हालांकि, शुद्ध पेरोल जुड़ने में पुराने सदस्य, हालिया संख्या और पुराने सदस्यों के फिर शामिल होने की गणना की जाती है। यह संख्या जून में १५.७ लाख करोड़ थी और यह जुलाई में १८.८ प्रतिशत बढ़कर १८.७ लाख हो गई थी। हालांकि, शुद्ध मासिक पेरोल की संख्या अंतिम होती है और यह अगले महीने में कई बार काफी बदल जाती है। यही कारण है कि शुद्ध सदस्य जुड़ने की तुलना में ईपीएफओ के नए ग्राहकों की संख्या को जोड़ने पर अधिक भरोसा जताया जाता है।