– ‘मिशन ब्रेन स्ट्रोक’ से कम होंगे केसेस
सामना संवाददाता / मुंबई
दुनिया में आनेवाले वक्त में हर छह में से एक व्यक्ति ब्रेन स्ट्रोक का शिकार होगा। हालांकि, जिस तरीके से इलाज में क्रांतियां आ रही हैं, उसे देखते हुए यह सहज कहा जा सकता है कि इस तरह के ७० से ८० फीसदी मामलों को निमंत्रण में लाया जा सकेगा। इसी राह पर ‘मिशन ब्रेन स्ट्रोक’ काम कर रहा है। हर जिले में इंट्रावीनस थ्रोम्बोसिस को पहुंचाना इसका एकमात्र मिशन है। इस तरह की जानकारी देते हुए ‘इंडियन स्ट्रोक एसोसिएशन’ के अध्यक्ष डॉ. निर्मल सूर्या ने कहा कि आज की जीवनशैली में युवा भी ब्रेन स्ट्रोक के शिकार होने लगे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि स्ट्रोक के बाद हर मिनट में ब्रेन के भीतर मौजूद २० न्यूरॉन्स मरते हैं। इस समय चार में से एक व्यक्ति को स्ट्रोक का खतरा होता है। ‘मिशन ब्रेन स्ट्रोक’ में शुरू से अंत तक देखभाल प्रदान करने के लिए तीन हथियारों को शामिल किया गया है।
पुणे में आयोजित मिशन ब्रेन स्ट्रोक कार्यक्रम के सीएमई में प्रत्यक्ष तौर पर लगभग २५० और ऑनलाइन ३५० चिकित्सकों ने भाग लिया और गहन चर्चा की। इस दौरान प्रेस कॉन्प्रâेंस में डॉ. निर्मल सूर्या ने कहा कि स्ट्रोक मृत्यु और विकलांगता का तीसरा प्रमुख कारण है। उन्होंने कहा कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मोटापा, धूम्रपान और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे जोखिम कारकों से इसका खतरा लगातार बढ़ रहा है। हालांकि स्ट्रोक आने के बाद थक्के को ठीक करने और लक्षणों को उलटने के लिए गोल्डन आवर के दौरान समय पर उपचार करना बहुत जरूरी होता है। डॉ. सूर्या ने कहा कि पिछले छह महीनों में आईवी थ्रोम्बोलिसिस दे चुके हैं।