हिंदुस्थान में लगातार बढ़ रही है अमीर-गरीब के बीच की खाई
द वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब का चौंकानेवाला खुलासा
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
तेजी से बढ़ी असमानता रिपोर्ट के अनुसार, साल २०१४-१५ से लेकर २०२२-२३ तक यानी जब से भाजपा की सरकार केंद्र में आई है, अरबपतियों की दौलत तेजी से बढ़ी है। अधिकांश पैसा एक विशेष समूह के पास इकट्ठा हो जाने के चलते ही देश में असमानता भी तेजी से बढ़ी है। रिपोर्ट की मानें तो साल २०२२-२३ तक भारत की शीर्ष १ फीसदी लोगों की इनकम में हिस्सेदारी दुनिया में सबसे ज्यादा है। यह आंकड़ा दक्षिण अप्रâीका, ब्राजील और अमेरिका से भी ऊपर चला गया है।
टैक्स सिस्टम में हैं लूपहोल्स
रिपोर्ट में इनकम टैक्स सिस्टम में बदलाव करने का सुझाव देते हुए कहा गया है कि यदि अमीरों की संपत्ति के हिसाब से देखा जाए तो पता चलता है कि हिंदुस्थान के इनकम टैक्स सिस्टम में काफी लूपहोल्स हैं। भारत के आर्थिक आंकड़ों की गुणवत्ता भी काफी खराब है। हाल ही में इसमें गिरावट देखी गई है। हिंदुस्थान को अपने इनकम टैक्स सिस्टम में बदलाव करने चाहिए। इसके साथ ही स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण पर निवेश बढ़ाना चाहिए। इस रिपोर्ट में १६७ दौलतमंद परिवारों पर लगभग २ फीसदी सुपर टैक्स लगाने की वकालत भी की गई है।
कांग्रेस ने साधा निशाना
इस रिपोर्ट को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार की आलोचना की है। कांग्रेस के महासचिव जयराम नरेश ने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी ने अपने दोस्तों को लाभ पहुंचाने और अपनी पार्टी के अभियानों को फंडिंग करने के लिए इस ‘अरबपति राज’ को बढ़ावा दिया है। जयराम रमेश ने कहा कि शीर्ष स्तर की असमानता में वृद्धि विशेष रूप से २०१४ और २०२३ के बीच देखी गई है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी, अनियोजित जीएसटी कार्यान्वयन और पर्यावरण, भूमि अधिग्रहण, कृषि और श्रम कानूनों में किए गए प्रयास और कार्यान्वयन सभी अरबपति राज का समर्थन करने के लिए किए गए हैं। जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि अडानी समूह सहित पांच बड़े समूहों का उदय, जो ४० क्षेत्रों में एकाधिकार बना रहे हैं, भारत की वर्तमान महंगाई का कारण बने हैं।