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एक अकेला सब पर भारी! … राहुल ने धोया तो हर कोई रोया

एम. एन. सिंह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने २०२४ के लोकसभा चुनावों में इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से प्रस्थापित करने का भरसक प्रयास किया, मोदी की नई भाजपा ने लंबे-चौड़े चुनाव प्रचार में भी इसी बात पर जोर दिया कि किस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सब पर भारी हैं। परंतु संसद के पहले ही सत्र में मोदी के गुब्बारे से हवा निकल गई और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के जानदार-शानदार भाषण ने साबित कर दिया कि यही ‘एक अकेला सब पर भारी’ है। उस दिन हालात ये थे कि बादलों की तरह मूसलाधार रूप से बरस रहे राहुल से बचने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह से लेकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह व अन्य इस तरह सिर बचाते दिखे मानो उन पर अंगारे बरस रहे हों। उस दिन जब देश की ज्वलंत समस्याओं पर राहुल ने सरकार के सभी सिपहसालारों को धोया तो हर कोई आंसू बहा-बहाकर रोया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह भ्रम पैâलाने की कोशिश करने कि राहुल ने समग्र हिंदुओं का अपमान किया है, उनका नेरेटिव देश में चल नहीं सका। जनता को यह समझते देर नहीं लगी कि राहुल गांधी जो कटाक्ष कर रहे थे, वह भाजपा और मोदी पर था, न कि हिंदुओं पर। खुद राहुल गांधी ने भी बार-बार अपने भाषण में स्पष्ट किया कि हिंदू कभी हिंसक नहीं हो सकते। उन्होंने पूरे भाषण में कहीं भी हिंदुओं का अपमान नहीं किया।
`मान्यवर एकतरफा नियमों के ऊपर जाकर आप उन्हें रियायत दे रहे हो, मान्यवर हमें संरक्षित करिए, ऐसा नहीं चलता…’ इस तरह गिड़गिड़ाते हुए देश की जनता ने पहली दफा अमित शाह को देखा, देख भी रहे और देखते ही रहेंगे! अमित शाह की यह छवि १ जुलाई २०२४ की है। वे भारत गणराज्य के नवनिर्मित संसद में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से संरक्षण की मांग कर रहे थे। कुछ समय बाद देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी को भी उठना पड़ा। भाजपा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि मोदी जी के सपनों की भव्य संसद में उनकी और उनके टीम की इस तरह छीछालेदर होगी! फजीहत, वह भी अपने ही सपनों के महल में और फजीहत भी उसने की, जिसे और जिसके परिवार को मोदी, मोदी की भाजपा और उनकी ट्रोलिंग मंडली पानी पी-पीकर कोसती, उनकी मंडली ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा हिंदुस्थान के विकास के अस्तित्व को मानने से ही इनकार कर दिया। जिस मोदी ने गोदी मीडिया द्वारा प्रायोजित सवाल के जवाब में यह तक कह दिया कि राहल कौन हैं? उन्होंने अकेले मोदी-शाह एंड कंपनी को इस तरह से धो डाला कि सबकी बोलती बंद हो गई। उन्हें सपने में भी कभी इस बात का गुमान नहीं हुआ होगा कि जिसे वह `पप्पू’ कह रहे थे, वह अकेला उन्हें ही `पप्पू’ बना देगा।
गति तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की सांप-छछूंदर वाली हो गई थी। जिस इंसान ने १० सालों तक लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर उस कुर्सी का जी-भरकर दुरुपयोग किया। हमेशा विपक्ष की हर मांग को ठुकराया, उन्हें फटकार लगाई और संसद से बाहर का रास्ता दिखा दिया। वह (ओम बिड़ला) लाचार दिखाई दिए, जब उनके आका उनसे ही संरक्षण मांग रहे थे। उस वक्त शायद वे अपने आपको इस पद पर बिराजने के लिए कोस रहे होंगे। राहुल गांधी देश के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बोले। उन्होंने सत्ताधीशों से खुलकर जवाब मांगा, लेकिन सबके मुंह पर जैसे दही जम गई थी। राहुल गांधी अभिमन्यु की तरह चक्रव्यूह में अकेले लड़े, लेकिन फंसे नहीं। उनके सामने थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, किरण रिजिजू, भूपेंद्र यादव आदि…! सभी ने मिलकर अपने-अपने तरीके से राहुल को घेरने की कोशिश की, लेकिन राहुल को फंसाने की सारी योजनाएं धराशाई होती गर्इं। एक वाक्य में कहा जाए तो राहुल ने जमकर धोया और ५६ इंच का हर साथी रोया!

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