सामना संवाददाता / नई दिल्ली
जून २०१५ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक प्रमुख शहरी आवास योजना शुरू की थी। घोषणा की गई कि २०२२ तक ‘सभी को आवास’ मिलेगा। यह इंदिरा गांधी के ‘रोटी, कपड़ा, मकान’ के नारे की भावनात्मक अपील को दोहराने जैसा था। लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार अभी तक सिर्फ २५ फीसदी परिवारों को ही आवास मिल सका है।
मिली जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पीएमएवाई-यू) इलाके में बड़ी बाधाओं का सामना कर रही है। जहां दिसंबर २०२४ तक १.१८ करोड़ परिवारों को घर देने का वादा किया गया था, वहीं अब तक यह लक्ष्य ६७.४५ प्रतिशत ही पूरा हो पाया है। हालांकि असल में यह २५ फीसदी ही बताया जा रहा है। यदि सरकारी आंकड़ों के अनुसार आवास की मांग के सबसे कम अनुमान को भी देखा जाए तो पता चलता है कि सरकार ने अब तक केवल २५.१५ प्रतिशत आवास की कमी ही पूरी की है, जबकि कागज पर यह संख्या ६७.४५ प्रतिशत है। इसके अतिरिक्त, इनमें से आधे से अधिक घर एक ऐसी व्यवस्था के तहत बने हैं, जिसमें सरकार की भूमिका केवल लाभार्थियों के साथ लागत साझा करने तक सीमित है। इसके अलावा, पीएमएवाई-यू के तहत बनाए जाने वाले अधिकांश घर- लगभग ८३ प्रतिशत- भूमिहीन शहरी गरीबों के लिए बिल्कुल भी नहीं हैं। बावजूद इसके कि महानगरों में निजी रियल एस्टेट डेवलपर्स कमजोर वर्गों के लिए किफायती आवास बनाने के जरा भी इच्छुक नहीं हैं। क्षेत्रीय आधार पर भी इन आंकड़ों में बहुत असमानता है। बिहार, आंध्र प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, मेघालय, सिक्किम, अंडमान और निकोबार और जम्मू-कश्मीर में ५० प्रतिशत से कम आवास पूरे हुए हैं, जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में यह संख्या सबसे कम है। पीएमएवाई-यू के तहत निर्मित और /या पुनर्निर्मित घरों की संख्या प्रभावशाली है। लगभग १.१८ करोड़ घर स्वीकृत किए गए हैं, जिनमें से ८० लाख से अधिक पहले ही पूरे हो चुके हैं। यही आंकड़े सुर्खियों में दिए जाते हैं, और सरकारी प्रतिनिधि अक्सर पीएमएवाई-यू की सफलता पर चर्चा करते समय इनका उल्लेख करते हैं। इन आंकड़ों की वास्तव में प्रशंसा की जानी चाहिए, क्योंकि ये कई उन परिवारों की कहानी है जिनके जीवन में बहुत सुधार आया है।
लेकिन शहरी गरीबों का एक बड़ा हिस्सा अभी भी इससे वंचित है। पीएमएवाई-यू के तहत निर्मित अधिकांश घर (लगभग ८३ प्रतिशत) उन परिवारों के हैं जिनके पास पहले से पूंजी या जमीन थी। पीएमएवाई-यू के तहत झुग्गी पुनर्वास योजना में केवल २.९६ लाख घर मंजूर हुए हैं, जो अनुमानित मांग का लगभग २० प्रतिशत है। यह संख्या पीएमएवाई-यू के कुल लाभार्थियों का लगभग २.५ प्रतिशत है।