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वैक्सीन नहीं लेनेवाले ही अस्पताल में हो रहे भर्ती! कोविड के बढ़ रहे खतरे के बीच ‘एम्स’ के चार डायरेक्टरों का आकलन

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
कुछ दिनों से कोविड को लेकर देश में फिर से चर्चा और चिंता होने लगी है। इस माह की शुरुआत से हिंदुस्थान में भी ओमायक्रॉन के सब वेरिएंट एक्सबीबी१.१६ से लोग संक्रमित होने लगे और रोजाना मरीजों की संख्या भी बढ़ने लगी। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में सवाल आने लगे कि कहीं इस गर्मी में कोरोना के पहले या दूसरे फेस जैसी स्थिति तो नहीं आएगी, इससे वैâसे बचें और इस वेरिएंट का बाकी दुनिया की तुलना में हमारे देश में प्रभाव वैâसा रहेगा। इसे लेकर देश के चार एम्स डायरेक्टर, आईसीएमआर के पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की सीनियर वैज्ञानिक डॉ. प्रज्ञा यादव, कोरोना संक्रमण दर का आकलन करने वाले आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनिंद्र अग्रवाल का कहना है कि एक्सबीबी१.१६ वेरिएंट से मरीजों की संख्या उनकी बढ़ रही है जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है। लेकिन देश में गंभीर या आईसीयू में भर्ती होने वाले हालात न के बराबर हैं। अभी कुछ दिन मरीजों की संख्या और बढ़ेगी।
एक्सबीब वेरिएंट से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा
उनका कहना है कि इस वेरिएंट से दूसरी गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को सामान्य की तुलना में ज्यादा खतरा है, इसलिए उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे भी कुछ मरीज सामने आ रहे हैं, जिन्होंने वैक्सीनेशन की पूरी डोज नहीं ली है, उन्हें भी इस वेरिएंट से संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। एम्स के डायरेक्टरों का कहना है कि अभी संक्रमित मरीजों में ५ फीसदी भी अस्पताल नहीं आ रहे हैं और जो आ रहे हैं, उन्हें पहले से कोई न कोई गंभीर बीमारी है। एक्सपर्ट का कहना है कि कोविड के सामान्य प्रोटोकॉल का पालन करने से संक्रमण को रोका जा सकता है।
कोरोना मरीजों में ९० फीसदी ने नहीं लगवाई बूस्टर डोज
कोरोना के मामले बढ़ने का कारण कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज लेने वाले लोग अन्य लोगों से अधिक सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने के लिए एहतियाती खुराक के टीकाकरण लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में भर्ती कोरोना वायरस रोगियों की संख्या बताती है कि टीके की एहतियाती खुराक लेने वाले लोग अन्य लोगों से अधिक सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती कोरोना संक्रमित रोगियों में ९० प्रतिशत वो हैं जिन्होंने टीके की केवल दो खुराक ली हैं। उसी समय केवल १० प्रतिशत लोग टीके की तीसरी खुराक लेने के बाद कोरोना संक्रमित हो गए। इससे स्पष्ट है कि टीके की एहतियाती खुराक लगवाने वाले लोग कोरोना संक्रमण से सुरक्षित हैं।

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