सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की शिंदे सरकार में खुल्लम-खुल्ला लूट चल रही है और इस बार यह लूट बीएमसी के शटल और रोबो पार्कर सिस्टम में हुई है, जहां बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के संकेत मिले हैं। शिंदे सरकार ने यहां प्रत्येक पार्किंग के लिए लगभग तीन गुना अधिक लागत लगाई है। इसके चलते मनपा के खजाने पर अतिरिक्त नुकसान हुआ। इस मामले का खुलासा आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने किया है। इस पूरी प्रक्रिया में मुंबई कॉर्पोरेशन को पार्किंग कॉन्ट्रैक्ट में २०० करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान होने की शिकायत करते हुए आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने जांच की मांग की है।
बता दें कि मुंबई मनपा ने मुंबादेवी में एलिवेटेड मल्टीलेवल इलेक्ट्रोमैकेनिकल कार पार्किंग सिस्टम (शटल और रोबो पार्कर सिस्टम) शुरू किया है और माटुंगा, फोर्ट और वर्ली में वर्क ऑर्डर जारी किया है। दिल्ली में प्रति वाहन लागत ७ लाख रुपए से १७ लाख रुपए है और मुंबई में यही लागत २२ लाख रुपए से ४० लाख रुपए है। मूल उपकरण निर्माण भागीदार मेसर्स सोटेफिन पार्किंग प्राइवेट लिमिटेड है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, मनपा आयुक्त भूषण गगरानी को भेजे पत्र में ५१३.४१ करोड़ रुपए के कॉन्ट्रैक्ट के काम की जांच की है और कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने की मांग की है। शिकायत में अनिल गलगली ने कहा है कि सभी निविदादाताओं के बीच मूल उपकरण निर्माण भागीदार मेसर्स सोटेफिन पार्किंग प्राइवेट लिमिटेड है। ५१३.४१ करोड़ रुपए जो उसी स्थान पर मेसर्स सोटेफिन पार्विंâग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किए गए कार्य से अधिक है। एकमात्र ओईएम भागीदार जिसने एक से अधिक निविदादाताओं के साथ एमओए में प्रवेश किया है वह मेसर्स सोटेफिन पार्किंग प्राइवेट लिमिटेड है। मूल उपकरण विनिर्माण भागीदार मेसर्स सोटेफिन पार्किंग प्राइवेट लिमिटेड ने नई दिल्ली में सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में ४४.७१ करोड़ रुपए में प्रति कार १६.९४ लाख रुपए की लागत से २६४ कार पार्किंग को निष्पादित किया है। नई दिल्ली में जीपीआरए में ३०० कारों की पार्किंग २१.१८ करोड़ रुपए में की गई है और प्रति कार लागत ७.०६ लाख रुपए है। प्रति कार २२.४५ लाख रुपए की लागत से मुंबादेवी में ५४६ कार पार्किंग का निर्माण १२२.६० करोड़ रुपए की लागत से किया गया है। मनपा द्वारा बोलियों का लागत मूल्यांकन ठीक से नहीं किया गया था, क्योंकि दरों का कोई विश्लेषण नहीं किया गया था और न ही विभाग ने भारतभर में कार्यान्वित की जा रही अन्य समान परियोजनाओं को लागत मूल्यांकन के लिए संदर्भ बिंदु के रूप में लिया था।