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रक्षा का सूत्र खोलो

रक्षाबंधन का बंधन अब बांधों नहीं
रक्षा का सूत्र खोलो मन को टटोलो,
जो भी करें हैवानियत उसे न छोड़ो
मुक्त करो शरीर से उस आत्मा को।

शासन प्रशासन न समाज को देखो
तुम हो भुक्तभोगी तत्क्षण निर्णय लो,
नारी अपमान पर महाभारत करते थे
उस यशश्वी पूर्वज के तुम वंशज हो।

तुम पर चू रहा है तो छाएगा कौन
दुष्टों को नरक में पहुंचाएगा कौन ,
दूसरों के भरोसे रहोगे कब तक
तूम्हारा सम्मान बचाने आएगा कौन।

हे भारतवंशी कब तक निद्रा में रहोगे
पशुओं की गलती कब तक सहोगे ,
मोमबत्ती ले कब तक शोक मनाओगे
अपनी भिरूता को कब तक छुपाओगे।

है तन में अगर संचार कर रहा रक्त
मत सह उत्पात दुष्टों पर घात कर ,
हे माॅं भारती की संतान उठों अब
मानव तनधारी पशुओं का संघार कर।
मानव तनधारी पशुओं का संघार कर।
मानव तनधारी पशुओं का संघार कर।

नरेन्द्र कुमार
ग्राम-बचरी (तापा), पोस्ट- अखगाॅंव, थाना- संदेश,
जिला- भोजपुर (आरा) बिहार

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