दुनिया में सबसे ज्यादा मुंह के वैंâसर हिंदुस्थान में हैं। देश में सभी प्रकार के कैंसर मामलों में ५५ फीसदी उछाल मुंह के कैंसर के हैं। चिंताजनक बात यह है कि इसका अब तक कोई संतोषजनक इलाज नहीं था। लेकिन अब इस बीमारी पर लगाम लगाने में काफी हद तक लेजर सर्जरी कारगर साबित हो रही है। ‘लेजर’ को कैंसर से निपटने का बिल्कुल ही अलग और सस्ता तरीका माना जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार हिंदुस्थान में हर साल औसतन १ लाख २० हजार के करीब लोगों में मुंह के कैंसर की पुष्टि होती है, जिसमें से दुर्भाग्य से ७२ हजार से ज्यादा रोगियों की मौत हो जाती है। आईसीएमआर के मुताबिक, ७० से ८० फीसदी मरीज चौथी स्टेज में इलाज के लिए पहुंच पाते हैं। इस वजह से मौत के मामले बढ़ते हैं। अमूमन, ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा मुंह के वैंâसर का किया गया इलाज ५ से १० साल तक ही रोगी को राहत दे पाता है, पर लेजर तकनीक से हुए इलाज से उनमें ज्यादा उम्मीद रहती है। सामान्यत: ओरल कैंसर के मामलों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की मृत्यु ज्यादा होती है।
४०० से अधिक सफल इलाज
डॉ. भल्ला बताते हैं कि अंधेरी में स्थित एडवांस मल्टी स्पेशिलिटी अस्पताल में ऑर्किड कैंसर सेंटर में पिछले आठ सालों में ओरल कैंसर के ४०० से अधिक मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज हो चुका है, जिसके अच्छे नतीजे दिखे हैं। उनके अनुसार, लेजर तकनीक में सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें कोई विकृत करनेवाली सर्जरी नहीं होती है। साथ ही कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की मात्रा भी कम होती है। आमतौर पर मरीज एक सप्ताह के भीतर सक्रिय हो जाते हैं। उनके अनुसार, यदि मरीज सर्जरी नहीं चाहता है तो उसे जितनी जल्दी हो सके, लेजर सर्जरी के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए।
ऐसे होता है उपचार…
डॉ. रूसी भल्ला के अनुसार, ‘ट्यूमर के आकार को कम करने के लिए सर्जरी से पहले एनएसीटी (नियो एडजुवेंट कीमोथेरेपी) दी जाती है। यह ४० फीसदी से भी कम मामलों में कामयाब होती है।’ वे यह भी बताते हैं कि लेजर तकनीक से काफी मात्रा में ट्यूमर को अंदर से जलाया जा सकता है। ये कीमोथेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे सहायक उपचार के उपयोग को कम कर देता है। ट्यूमर को हटाने के बाद दर्द को भी नियंत्रित किया जा सकता है। लेजर तकनीक कीमोथेरेपी की तुलना में कैंसर की बीमारी की गति को धीमा कर देती है। उन्होंने कहा कि सामान्य सर्जरी की तुलना में लेजर तकनीक बिना किसी विकृति के ट्यूमर को बाहर निकालती है। इससे चेहरा बिल्कुल भी नहीं बिगड़ता है।