दो दिनों में २२ हुई मृतकों की संख्या
मृतकों में तीन दिन का नवजात भी शामिल
सामना संवाददाता / मुंबई
ठाणे मनपा द्वारा संचालित कलवा स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में मानो मौत का तांडव थमने का नाम नहीं ले रहा है। अस्पताल पिछले कुछ दिनों से मौतों में वृद्धि को लेकर खबरों में है। इसी क्रम में १२ घंटों में १८ मरीजों की हुई मौत का मामला अभी तक ठंडा नहीं पड़ा था कि कल फिर से इलाज के दौरान चार और मरीजों की मौत हो गई। बताया गया है कि मृतकों में एक तीन दिन के नवजात का भी समावेश है।
उल्लेखनीय है कि कलवा स्थित मनपा के छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल में गुरुवार को छह मरीजों की मौत हुई थी। इसके दो दिन बाद शनिवार शाम ८.३० बजे से रविवार सुबह १०.३० बजे के बीच अस्पताल में १८ लोगों की मौत हो गई। इसी तरह सोमवार को भी चार और लोगों की मौत हुई है। इस तरह दो दिनों में अस्पताल में मरने वाले मरीजों की संख्या २२ पर पहुंच गई है। जानकारी के मुताबिक, कल हुई चार मौतों में एक तीन दिन का नवजात भी शामिल है, जबकि एक मरीज को मृत अवस्था में लाया गया था। एक मरीज का उपचार शुरू था तो एक मरीज आईसीयू में भर्ती था। अस्पताल में हो रही मौत पर डीन डॉ. राकेश बरोटे ने कहा कि यहां हर महीने इलाज के दौरान १३० से १६० मरीजों की मौतें होती हैं, जो उनके लिए सामान्य बात है। सोमवार को भी अस्पताल में चार मौतें दर्ज की गई हैं, जिनमें दो नाबालिग और दो वयस्क थे। इसमें एक तीन दिन का बच्चा भी था, जिसका वजन कम था और एक की डेंगू के कारण मृत्यु हुई है, जबकि दो वयस्क पहले से ही चिंताजनक स्थिति में थे।
न बनाओ संवेदनशील मुद्दा
डीन डॉ. राकेश बारोट ने कहा कि अस्पताल में इलाज के दौरान हो रही मौतों को ज्यादा संवेदनशील मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई के केईएम, सायन, नायर, कूपर और जेजे जैसे अस्पतालों में भी मरीजों की मौत का लगभग यही अनुपात रहता है।
जांच के लिए कमेटी गठित
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के आदेश पर एक समिति का गठन किया गया है, जो अस्पताल और इलाज करनेवाले डॉक्टरों की ओर से किसी भी तरह की लापरवाही की संभावना, उपकरण की कमी समेत कई मुद्दों के बारे में विस्तृत और निष्पक्ष जांच करेगी। दूसरी तरफ मृतकों के रिश्तेदारों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल के चिकित्कसों ने उनके मरीजों को आईसीयू में भर्ती करने की उनकी मांगों को नजरअंदाज कर दिया था। इसके अलावा उन्हें इलाज के लिए इंतजार करने को भी कहा गया था।