मुख्यपृष्ठनए समाचारसवाल हमारे, जवाब आपके?

सवाल हमारे, जवाब आपके?

नई संसद की सुरक्षा में सेंध कई तरह के सवाल खड़े कर रही है। जब संसद ही सुरक्षित नहीं है, तब आम आदमी कैसे सुरक्षित रहेगा? सरकार की इस नाकामी पर आपकी क्या राय है?
 बिना जांच के ही अंदर जाने दिया?
तीन सुरक्षा घेरों के बावजूद भी दो लोग स्मोक स्टिक लेकर संसद में घुस गए, यह वास्तव में बेहद सोचनीय और गंभीर है और तो और किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगी। यह अपने में एक बड़ा गंभीर सवाल है। क्या इनको बिना जांच के ही अंदर जाने दिया गया। अगर संसद में इस प्रकार की घटना हो सकती है तो हमारे जैसी आम जनता का क्या होगा।
– शिव बहादुर सिंह

 तो आम नागरिकों की सुरक्षा का क्या
संसद भवन के एंट्री गेट पर पूरी तरह से चेकिंग की जाती है। इसके लिए तीन तरह की सुरक्षा लेयर से होकर गुजरना पड़ता है। इसमें संसद परिसर की सुरक्षा सीआरपीएफ के पास रहती है। मुख्य भवन की सुरक्षा का जिम्मा जॉइंट सिक्योरिटी सेक्रेटरी के पास होता है, जो पूरे संसद परिसर की सुरक्षा को देखता है। इसके बाद लोकसभा और राज्यसभा में अपने डायरेक्टर सिक्योरिटी सिस्टम होते हैं। विजिटर पास के लिए लोकसभा सचिवालय के फॉर्म पर किसी सांसद का रिकमेंडेशन सिग्नेचर जरूरी होता है। इसके साथ ही विजिटर को पास के लिए आधार कार्ड लाना होता है। इतना सब होने के बावजूद सुरक्षा मे चूक वैâसे हुई है। इतनी बड़ी सुरक्षा में जब इस तरह की घटना को अंजाम दिया जा सकता है तो आम नागरिकों की सुरक्षा का क्या होगा।
– अभिनंदन मोर

 इतनी बड़ी चूक कैसे
विजिटर जब रिसेप्शन पर पहुंचता है, तो वहां मौजूद सुरक्षा गार्ड महिला और पुरुष को अलग-अलग प्रिâस्किंग करके जांच करते हैं। इसके बाद रिसेप्शन पर फोटो आईडी कार्ड बनता है। मोबाइल फोन को रिसेप्शन पर ही जमा कर लिया जाता है। इसके बाद विजिटर फोटो आइडटिटी कार्ड के साथ सिक्योरिटी कमांडो के जरिए गैलरी तक पहुंचता है। विजिटर गैलरी में ठहरने के लिए एक समयावधि होती है, जिसके बाद उसे बाहर कर दिया जाता है। संसद के हर सेशन से पहले सारी सुरक्षा एजेंसियां एक साथ मिलकर सिक्योरिटी रिव्यू करती हैं। किसी तरह की जरूरत होने पर जॉइंट सेक्रेटरी सिक्योरिटी रिकमेंडेशन देता है। नई संसद भवन बनने के बाद आधा दर्जन से ज्यादा सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बैठक हो चुकी है। इसके बावजूद इतनी बड़ी चूक होने से सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे है।
– कांति दुबे, अंधेरी
 सही बात को गलत ढंग से रखा
संंसद की सुरक्षा को लेकर सरकार को हमेशा अलर्ट रहने की जरूरत है। जब संसद पर आतंकी हमला हुआ था तो सरकार के लिए यह चेतावनी अलार्म था, लेकिन जैसा कि हर बार होता आया है, समय बीतने के बाद सरकार भूल जाती है। यही इस बार भी हुआ। संसद में जो हुआ, मेरे ख्याल से इसे हमला नहीं कहा जा सकता। मेरा कहना है कि सही बात को गलत ढंग से रखा गया। हमारे देश के बेरोजगार युवा हैं, जिन्होंने हताशा में ऐसा किया। आगे से ऐसा न हो, सरकार को सुरक्षा के पुख्ता उपाय करने चाहिए।
राकेश जाधव, ओशिवरा 

अगले सप्ताह का सवाल?
इंडियाबॉन्ड्स की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि देश पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। हिंदुस्थान पर करीब २१० लाख करोड़ रुपए का कर्ज है, जबकि केंद्र की मोदी सरकार विकास के तमाम दावे करती रहती है, तो सरकार के इस विरोधाभास को लेकर आपकी क्या राय है?
अपने विचार हमें लिख भेजें या मोबाइल नं. ९३२४१७६७६९ पर व्हॉट्सऐप करें।

अन्य समाचार