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सवाल हमारे, जवाब आपके?

केंद्र सरकार भारतीय सेना का आकार छोटा करने की तैयारी में है। सरकार आगामी कुछ वर्षों में एक लाख पदों की कटौती करनेवाली है। इससे युवाओं पर बेरोजगारी की मार के साथ देश की सुरक्षा पर भी प्रभाव पड़ेगा। सरकार के इस कदम पर आपकी क्या राय है?
भाजपा पूरे देश को बेरोजगार कर देगी
देश के सिपाही का ही नहीं, बल्कि हर क्षेत्र में कटौती, करने का बीड़ा भाजपा ने उठाया है। आज पढ़े-लिखे लोग नौकरी के अभाव में विदेश जा रहे हैं। भाजपा सिर्फ देश भक्ति, संस्कार आदि का ढोंग कर रही है। दिन-प्रतिदिन कंपनियां बंद हो रही हैं। भाजपा सरकार रोजगार के साधन मुहैया नहीं करा पा रही है। यही कारण है कि पढ़े-लिखे युवकों में आक्रोश पैदा हो रहा है।
– अभय सिंह, उल्हासनगर

नेता कम होने चाहिए, सेना नहीं
मेरा मानना है कि सेना में कटौती करके सरकार देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कर रही है। आज हमारे पड़ोसी चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति हमें खतरे में डाल सकती है। ये हमें नहीं भूलना चाहिए। दरअसल, सैलरी और पेंशन पर खर्च बढ़ने के कारण अपने आधुनिकीकरण के लिए सेना के पास बहुत कम फंड बच पाता है। सरकार खुद के और नेताओं के खर्च कम करने की बजाय सेना के खर्चे कम करने में लगी है, ये कहां तक उचित है।
– पहल शर्मा, भिवंडी, ठाणे

देश के अस्तित्व के लिए सशक्त सेना जरूरी
हमारे देश के अस्तित्व के लिए एक सशक्त सेना का होना बहुत जरूरी है। मेरा मानना है कि हमारा देश दो तरफ से दुश्मन देशों के घिरा हुआ है। पाकिस्तान और चीन दोनों के साथ हरदम तनाव बना रहता है। पिछले कुछ वर्षों से भारत-चीन सीमा पर हो रही झड़प इस बात का सबूत है, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान और चीन की नजदीकियां हमारे देश के लिए अच्छी बात नहीं है। ऐसे माहौल में सेना के आकार में कटौती हमारे लिए अच्छी खबर नहीं है। दुर्भाग्यवश कभी युद्ध जैसे हालात हमारे सामने बन जाएं तो यह स्थिति हमारे लिए अच्छी नहीं होगी। इसीलिए सेना के आकार को छोटा करना और लाखों पदों की कटौती के पैâसले का हम सभी को विरोध करना चाहिए।
– काव्या मिश्रा, सांताक्रुज

सेना के साथ खिलवाड़ न करें
सेना हमारी रक्षक है और सेना के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। केंद्र सरकार का यह पैâसला देश को खतरे में डाल सकता है। सरकार को यह सोचना चाहिए कि देश में सेना एक ऐसी संस्था है जो हर साल नियमित रूप से भर्ती करती है, जिसमें देश के युवा अपना भविष्य तलाशते हैं। देश की सुरक्षा के साथ-साथ रोजगार का एक विकल्प का भी कम होना है। देश में बढ़ती बेरोजगारी के माहौल में ये युवाओं के बीच निराशा का सबब बन सकता है।
– अंजलि पाठक, मीरा रोड

असंवेदनशील पैâसला है यह
बेरोजगारी के इस दौर में सेना के पदों को खत्म करने का पैâसला बेहद असंवेदनशील पैâसला है। देश में जहां हर तरफ सरकारी कर्मचारियों की संख्या कम हो रही है। उसमें यह पैâसला जले पर नमक की तरह है। सेना में ज्यादातर युवा गांवों से आते हैं और गांवों में रोजगार का अवसर न होने की वजह से युवाओं के लिए ये मुश्किल का सबब होगा।
– राकेश उपाध्याय, कांदिवली

अगले सप्ताह का सवाल?
शीतकालीन सत्र में विधान मंडल ने विधेयक पारित करते हुए निजी विश्वविद्यालयों में छात्रों को मिलनेवाली छात्रवृत्ति पर रोक लगा दी है। इससे गरीब छात्र शिक्षा से वंचित हो सकते हैं। सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम पर आपकी क्या राय है?
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