मुख्यपृष्ठस्तंभसवाल हमारे, जवाब आपके?

सवाल हमारे, जवाब आपके?

शिंदे सरकार राज्य में किसानों की आत्महत्या रोकने में असफल रही। अब आत्महत्या करनेवाले किसानों के पीड़ित परिजनों को मिलनेवाली निधि को भी सरकार बंद करने जा रही है। किसानों की निधि को किसी अन्य योजना में लगाने की तैयारी है। अब पीड़ित किसान परिवारों का गुजारा वैâसे होगा? सरकार की इस नीति पर आपका क्या कहना है?

क्रूरता और संवेदनहीनता की पराकाष्ठा
शिंदे सरकार की यह नीति किसानों के दर्द को नजरअंदाज कर रही है। आत्महत्या पीड़ितों के परिवारों से सहायता छीनकर उन्हें और भी बड़ी समस्याओं की ओर धकेला जा रहा है। सरकार किसानों की आत्महत्या को रोकने में नाकामयाब रही है और अब उनके परिजनों की मदद भी बंद कर रही है। यह न केवल क्रूरता है, बल्कि संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
– शिवम मिश्रा, प्रभादेवी

किसानों के साथ धोखा है यह
आत्महत्या पीड़ित किसान परिवारों की आर्थिक सहायता रोकने से उनका भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। शिंदे सरकार की इस नीति ने किसानों का विश्वास खो दिया है। किसानों की सहायता रोकने का निर्णय शिंदे सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाता है। किसानों को छोड़कर अन्य योजनाओं में निधि लगाना उनके साथ धोखा है।
– स्वाति तिवारी, विक्रोली

अमानवीय है राहत बंद करना
सरकार का यह कदम किसानों की आत्महत्या की समस्या को और बढ़ाएगा। जो सरकार किसानों के दुखों को समझ नहीं पा रही, वह किस तरह राज्य का नेतृत्व कर सकती है? किसानों की आत्महत्या से जुड़े परिवारों को राहत बंद करना अमानवीय है। शिंदे सरकार की यह नीति उन्हें मजबूरी और बेबसी की ओर धकेल रही है।
– कल्पना शिंदे, कांजुरमार्ग

सरकार की नीति है गैरजिम्मेदाराना
किसानों की सहायता बंद कर सरकार ने अपने कर्तव्य से मुंह मोड़ लिया है। यह पैâसला राज्य के सबसे कमजोर तबके के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाता है। शिंदे सरकार की नीतियां किसानों के प्रति असंवेदनशील और गैरजिम्मेदाराना हैं। पीड़ित परिवारों को राहत न देना, उनकी समस्याओं को अनदेखा करने जैसा है।
– राजीव अग्रवाल, बोरीवली

दुर्भाग्यपूर्ण और असंवेदनशील कदम
आत्महत्या पीड़ितों की सहायता रोककर सरकार अपनी असफलताओं को छिपाने की कोशिश कर रही है। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण और असंवेदनशील कदम है। किसानों की निधि को अन्य योजनाओं में लगाना उनके संघर्ष को नकारने जैसा है। शिंदे सरकार की यह नीति किसानों के हितों के खिलाफ है और राज्य को नुकसान पहुंचाएगी।
– प्रमोद पांडे, वसई

किसानों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
शिंदे सरकार की इस नीति पर सवाल उठाना स्वाभाविक है। किसान आत्महत्या एक गंभीर समस्या है और इसके प्रति संवेदनशीलता दिखाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि सरकार किसान आत्महत्या के पीड़ित परिवारों की सहायता बंद करती है और निधि को किसी अन्य योजना में लगाने का निर्णय लेती है, तो इससे उन परिवारों के जीवन की बुनियादी जरूरतों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
– राकेश गुप्ता, मुंबई

अन्य समाचार