मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनासवाल हमारे, जवाब आपके!

सवाल हमारे, जवाब आपके!

देश में चल रहे चुनाव के मतों की संख्या को सार्वजनिक नहीं करना चुनाव आयोग की कमी को दर्शाता है। साथ ही लाखों ईवीएम मशीनों के गायब होने के सवाल का सही जवाब न देनेवाले चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर कैसे भरोसा किया जाए, इस पर आपका क्या कहना है?

जो भी हो रहा है उस पर कुछ मत बोलो

चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर तो उस ही दिन सवाल उठने लगे थे, जिस दिन चीफ इलेक्शन कमीशन की नियुक्ति हो गई थी और एक जमीरदार इलेक्शन कमीशन के अधिकारी ने अपने आपको इस झमेले से अलग कर लिया था। मोदी सरकार को ऐसे इलेक्शन कमीशन की जरूरत थी, जो उनके इशारों पर काम करे और हुआ भी यही। इलेक्शन कमीशन गांधी जी के तीन बंदर की तरह आंख, कान और मुंह कर बैठा हुआ है। हालांकि, गांधी जी के बंदर बताते हैं बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो। यहां पर मोदी जी के इलेक्शन कमीशन रूपी बंदर का तर्जुमा यह है कि मोदी जी कुछ भी गलत करें उसे मत देखो, जो कुछ गलत बोलें उसे मत सुनो और जो कुछ गलत हुआ हो उस पर कुछ मत बोलो।- काव्या मिश्रा, मीरा रोड

यह विश्व गुरु की महिमा है

देश में यह पहली बार हुआ कि मतदान होने के तीन-चार दिन बाद इलेक्शन कमीशन ने एलान किया कि कितना फीसद वोटिंग हुई है। अब इलेक्शन कमीशन को यह कौन समझाए कि हिंदुस्थान विश्व गुरु बनने की राह पर है और मंगल पर हम रॉकेट भेजने में सफल हो चुके हैं। क्या इलेक्शन कमीशन को यह भी याद दिलाने की जरूरत है कि यह हमारा ही देश है, जिसने शून्य की खोज की थी। अब गणितज्ञ रामानुजन और आर्यभट्ट को भी शर्म आ रही होगी कि उनके देश में वोटों की गिनती के लिए तीन से चार दिन लग रहे हैं। खैर, यह विश्व गुरु की ही महिमा है। – धीरज दुबे, खार

उन्होंने इलेक्शन कमीशन को भी अपना बना लिया

दस साल बाद तानाशाह पूर्ण शासन करने के बाद परम पूजनीय, आदरणीय श्री १००८ विश्व के एकमात्र फकीर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आत्म-साक्षात्कार हो गया कि उनकी नैया डूबने वाली है। इसीलिए उन्होंने एक साजिश के तहत चुनावों को सात चरणों में कराने का पैâसला किया। अब उन्हें समझ में आ ही गया था कि जनता उनके जुमलों से तंग आ चुकी है इसलिए हर चरण में वोटरों का रुख भांपने की कोशिश करने और उसके अनुपात में ‘वोट सेटिंग’ करने के लिए उन्होंने इलेक्शन कमीशन को भी अपना बना लिया। अब काउंटिंग में जो विलंब देखने को मिला, उसकी वजह समझ में आ गई है। ईश्वर उनका भला करे। – अनिता तिवारी, थाने

इलेक्शन कमीशन की बेबसी

ईवीएम की मशीनें गायब हो गईं और इलेक्शन कमीशन सोता रह गया, देखता रह गया, बेबस हो गया। क्योंकि इलेक्शन कमीशन के आका ने उसे इतना पंगु बनाकर रख दिया है कि वह सांस भी लेता है तो अपने आका के इशारे पर। उसकी धड़कनें भी चलती हैं तो उसके आका की धड़कनों पर। इतना ही नहीं, वह यह मान चुका है कि अगर उसने खुद अपने से सांस लेने की कोशिश की तो उसकी सांस की डोरी तोड़ दी जाएगी। उसके दिल ने धड़कने की कोशिश की तो उसकी धड़कनें रोक दी जाएंगी।- राहुल सिंह, कांदिवली

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