बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद वहां की जेलों में बंद सैकड़ों वैâदी भाग निकले हैं। शंका जताई जा रही है कि वे कैदी भारत में घुसपैठ कर सकते हैं। इस बात की जानकारी केंद्र सरकार को भी हो ही चुकी होगी। इसके बावजूद सरकार कोई पुख्ता कदम उठाती हुई नजर नहीं आ रही है। इस पर आपका क्या कहना है?
यह आपराधिक लापरवाही है
सरकार की निष्क्रियता इस बात का प्रमाण है कि हमारी सुरक्षा प्राथमिकताओं में गंभीरता की कमी है। जब सरकार को संभावित खतरे की जानकारी है, तो सरकार द्वारा कोई ठोस कदम न उठाना एक प्रकार से आपराधिक लापरवाही ही कही जाएगी।
– आदर्श मिश्रा, मीरा रोड
बन सकता है देश के लिए परेशानी का सबब
बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद जेल से वैâदियों का भाग निकलना हमारे लिए एक गंभीर और सोचनीय विषय है। सीमा पर हमारी जरा सी भी लापरवाही हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा खतरा पैदा कर सकती है। अत: सरकार को चाहिए कि वो सीमा पर सुरक्षा को इतना सख्त कर दे कि परिंदा भी पर न मार सके। वरना सीमा पर हमारी सुरक्षा में हुई एक भी चूक हमारे देश के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
– अरविंद तिवारी, नालासोपारा
देश के लिए बहुत बड़ा खतरा
तख्तापलट के बाद बांग्लादेश की जेलों से कैदियों का भाग निकलना एक गंभीर विषय है। हमारी सीमाओं की सुरक्षा के प्रति सरकार की उदासीनता जगजाहिर है। सरकार की एक छोटी सी लापरवाही हमारे देशवासियों के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकती है।
– लता जोशी, कांजुरमार्ग
कैदियों का भाग निकलना सोचनीय
क्या सरकार को वास्तव में देश की सुरक्षा की चिंता है या सरकार सिर्फ चुनावी राजनीति में उलझी हुई है? यहां सरकार की चुप्पी सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा रही है। तख्तापलट के बाद वैâदियों का इस तरह बांग्लादेश की जेल से भाग निकलना सोचनीय है।
– गौतम झा, खार
क्या तब सरकार जागेगी
तख्तापलट के बाद वैâदियों का इस तरह जेलों से भाग निकलना बेहद संवेदनशील विषय है। ऐसे संवेदनशील समय में सरकार की निष्क्रियता घातक साबित हो सकती है। क्या सरकार को इंतजार है कि खतरा सिर पर आ जाए, तब वो जागेगी?
– विजय सिंह, नालासोपारा
तो हमारी सुरक्षा का क्या होगा
सीमा पर सरकार द्वारा की गई जरा सी भी चूक हमारे देश के लिए बेहद घातक सिद्ध होगी। बांग्लादेश की परिस्थितियों को देखते हुए सीमा पर कठोर निगरानी की जरूरत है। ऐसे समय में अगर सरकार ने सीमा सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया तो हमारी सुरक्षा का क्या होगा?
– कानन बाला, अंधेरी
अगले सप्ताह का सवाल?
देश में महंगाई और बेरोजगारी चरम पर है। लोन लेकर छोटे-मोटा धंधा करनेवाले आदमी को अब धंधे में दिक्कत आनेवाली है, क्योंकि सरकारी बैंक एसबीआई ने लोन पर ब्याज बढ़ा दिया है। बैंक द्वारा मार्जिनल कॉस्ट ऑफ लीडिंग रेट में १० बेसिस पॉइंट का इजाफा करने पर आपका क्या कहना है?
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