देश के किसी भी मुद्दे पर घंटों मन की बात करनेवाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मणिपुर की घटना पर आखिर मौन क्यों हैं?
• प्रधानमंत्री सिर्फ फायदे की बात करते हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जहां फायदा होता है, उसी की बात करते हैं, जहां उनका घाटा होनेवाला रहता है, वहां वे मौन रहने में ही अपनी भलाई समझते हैं। मणिपुर के बारे में मोदी जी कभी भी बात करके फंसना नहीं चाहेंगे।
महेंद्र यादव, उल्हासनगर
• बेहद दु:खद
मणिपुर की घटना बड़ी दु:खद है और उससे भी ज्यादा दु:खद है देश के चौकीदार की चुप्पी। इस मामले पर प्रधानमंत्री को `मन की बात’ करनी चाहिए। यह संवेदनशील मुद्दा है।
नंदा श्रीवास्तव, कल्याण
• ये तो मनमानी है
विदेशों में वाहवाही लूटने के चक्कर में अपने देश के हालात पर ध्यान न देनेवाले हमारे प्रधानमंत्री जी सिर्फ अपने मन की बातें करते हैं, जिसे शुद्ध हिंदी में मन की बातें नहीं मनमानी कहते हैं।
हर्षिता गौड़, कल्याण
• ऐसी शांति क्यों?
मोदी जी एक डरपोक प्रधानमंत्री हैं। उन्हें सिर्फ सत्ता हासिल करने की ही राजनीति आती है। वे मन की बात करके लोगों को महज भटकाने का काम करते हैं। मणिपुर के बारे में उनसे उम्मीद रखना बेकार है। अन्य पक्ष के लोग एकजुट होकर मणिपुर शांत करने के लिए वहां जाकर लोगों से हाथ जोड़कर उनका जो हाल हुआ है, उनको राहत देने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री ऐसा कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
यशवंत चव्हाण, बेलापुर
• कब मिलेगी सजा?
`मन की बात’ में घंटों बात करनेवाले हमारे प्रधानमंत्री अपने मन की बात करते हैं, लेकिन वे ये भूल जाते हैं कि अपने मन की बात करने से पहले दूसरों के मन की बात भी सुनना जरूरी होता है। रही बात मणिपुर घटना की, तो प्रधानमंत्री महोदय ने कहा है कि गुनहगारों को सजा जरूर मिलेगी, पर यह नहीं बताया कि सजा कब मिलेगी? मणिपुर जलकर खाक हो जाएगा तब या और किसी की बहन-बेटी को निर्वस्त्र करके शहर में घुमाया जाएगा तब…? क्यों मोदी जी, चुनाव के समय आप के पास इतना फिजूल वक्त होता है कि आप नगरनिगम के चुनाव के लिए भी वहां उपलब्ध हो जाते हो, लेकिन मणिपुर में इतना सबकुछ हो गया कि आपको वक्त ही नहीं मिला कि कम से कम उनसे मिलकर उनके दुख-दर्द को साझा किया जाए।
दिनेश वर्मा, गोरेगांव
• मोदी मौन क्यों हैं?
अपने मन की बात दूसरों पर थोपनेवाले हमारे प्रधानमंत्रीजी मणिपुर के मुद्दे पर मौन हैं, क्योंकि बोलें भी तो किस पर? बोलने के लिए कोई तो विरोधी पार्टी होनी चाहिए, जिसपर बोला जाए, जिनके नाम पर धरने दिए जाए। मणिपुर में तो सत्ता भी भाजपा की ही है। अगर वहां पर किसी दूसरी राजनीतिक पार्टी की सरकार होती तो माननीय प्रधानमंत्री बोलते भी और धरने पर भी बैठ जाते, लेकिन अफसोस की बात है कि उन्हें यह सब दिखावा करने का मौका नहीं मिला।
पंकज सिंह, भायंदर
• जवाब तो दो
मणिपुर की यह घटना, पूरे देश में एक चर्चा का विषय है, यह हमारे देश के लिए एक शर्मनाक घटना है, ऐसे में देश के प्रधानमंत्री का मौन रहना लोगों में और भी कई सवाल खड़े कर रहा है। रूपाली यादव, भायखला
अगले सप्ताह का सवाल?
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