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आउट ऑफ पवेलियन : आखिर कौन सी बीमारी है कांबली को? …किसी को पता नहीं मगर सच ये है

अमिताभ श्रीवास्तव

अचानक गंभीर हालत में पिछले दिनों विनोद कांबली को अस्पताल में भर्ती कराया गया तो एक बात सबके दिमाग में आई कि आखिर ऐसी कौन सी बीमारी है कांबली को, जो खतरनाक है और जो उन्हें खुद भी नहीं पता? इन दिनों कांबली बहुत चर्चा में हैं। सचिन तेंदुलकर से एक आयोजन में भेंट के बाद उनके इलाज के लिए कपिल देव समेत कई दिग्गज आगे आए हैं। सोमवार को एक बार फिर वो तब चर्चा में आ गए, जब उनके अस्पताल में भर्ती होने की खबर आई। देखते ही देखते कांबली का एक वीडियो तूफान सा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो सामने आते ही पैंâस ने उनकी इस हालत के लिए उनकी ड्रिंकिंग हेबिट को वजह बताया, लेकिन बाद में डॉक्टरों के हवाले से आई रिपोर्ट से जो बीमारी सामने आई, तो बहुत ही ज्यादा चौंका गई। इस बीमारी के बारे में खुद कांबली को जानकारी नहीं है। अस्पताल में हुए टेस्ट में सामने आया है कि ‘कांबली के मस्तिष्क में खून के थक्के निकलकर आए हैं और इसी वजह से कांबली बेहोश होकर गिर गए थे। उनका इलाज कर रहे डॉ. ने बताया कि कांबली ने शुरुआत में संक्रमण और शरीर में ऐंठन की शिकायत की थी, इसके बाद ही उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन कई बार टेस्ट के बाद कांबली के मस्तिष्क में खून के थक्के निकल कर आए। डॉ. ने बताया, ‘कांबली के स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा रही है और कल मंगलवार को फिर से उनके टेस्ट किए गए हैं। यह भी पता चला है कि कांबली का जीवनभर इलाज प्रâी किया जाएगा। दरअसल, यह पूर्व लेफ्टी बल्लेबाज पहले से ही अनगिनत बीमारियों से ग्रसित हैं, जो खासतौर पर विनोद को हार्ट-अटैक आने के बाद बढ़नी शुरू हुर्इं। साल २०१३ में विनोद कांबली को हार्ट-अटैक आया था, तो इससे करीब एक साल पहले उनकी ब्लॉक धमनियों की एंजियोप्लास्टी हुई थी और दिल से जुड़ी बीमारी ने संन्यास के बाद कांबली के स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित किया। स्वास्थ्य कितना जर्जर हो गया, यह पिछले दिनों वायरल हुए वीडियो में पूरे देश ने देखा।

रत्न को चाहिए खेल रत्न
बढ़ गया है विवाद
इधर खेल रत्न देने के मामले में एक बार फिर विवाद बढ़ता हुआ दिखने लगा है। पेरिस ओलिंपिक खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली शीर्ष पिस्टल निशानेबाज मनु भाकर बुरी तरह निराश है। उनके पिता ने भी स्पष्ट कह दिया कि वो कोई आवेदन नहीं करेंगे, यदि खेल रत्न देना है तो दे सरकार। मनु ने खुद इस पुरस्कार की वो हकदार हैं या नहीं, इसका अंतिम पैâसला देश की जनता पर छोड़ दिया है। राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों का पैâसला करने वाली समिति द्वारा उनके नाम की सिफारिश न करने और इसके बजाय भारतीय हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह का नाम खेल रत्न पुरस्कार के लिए आगे बढ़ाने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। मनु के पिता रामकिशन ने कहा कि बेटी ने मुझसे कहा है कि उसे लगता है कि वह इसके लायक है। देश को पैâसला करने दीजिए। वहीं खेल मंत्रालय के एक शीर्ष सूत्र ने कहा है कि अभी नाम तय नहीं हुए हैं और एक सप्ताह में पुरस्कारों का खुलासा होने पर उसका नाम सूची में होगा। अगस्त में पेरिस ओलिंपिक में मनु एक ही खेलों में दो पदक जीतने वाली आजाद भारत की पहली खिलाड़ी बन गई, जब उन्होंने १० मीटर एयर पिस्टल व्यक्तिगत और मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य पदक जीता। मंत्रालय के एक सूत्र ने कहा कि अभी अंतिम सूची तय नहीं हुई है। खेल मंत्री मनसुख मांडविया एक या दो दिन में अनुशंसा पर पैâसला लेंगे और अंतिम सूची में मनु का नाम होने की पूरी संभावना है। उच्चतम न्यायालय के सेवानिवत्त जज वी रामासुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता वाली १२ सदस्यीय पुरस्कार समिति में भारतीय महिला हॉकी टीम की पूर्व कप्तान रानी रामपाल समेत पूर्व खिलाड़ी भी हैं। मंत्रालय के नियमों के तहत खिलाड़ियों को अपना नामांकन खुद भरने की भी अनुमति है। चयन समिति उन नामों पर भी विचार कर सकती है, जिन्होंने आवेदन नहीं किया है। मंत्रालय ने दावा किया कि मनु ने आवेदन नहीं किया है, लेकिन उनके पिता रामकिशन भाकर ने कहा कि उसने आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि भारत में ओलिंपिक खेलों की कोई अहमियत नहीं है, क्योंकि दो ओलिंपिक पदक जीतने के बावजूद मनु की खेल रत्न पुरस्कार के लिए उपेक्षा की गई। देश के लिए खेलने और पदक जीतने का क्या फायदा जब सम्मान के लिए हाथ पैâलाने पड़ें। वह पिछले २-३ साल से लगातार पुरस्कारों के लिए आवेदन कर रही हैं और मैं इसका गवाह हूं। इसमें खेल रत्न, पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान शामिल हैं।

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