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हर मुश्किल को पार कर उम्मीद की नई राह दिखाते – डॉ संजय हेलाले

संदीप पांडेय / मुंबई
दुनिया में कुछ कहानियां ऐसी होती हैं, जो हमारे दिलों को छू जाती हैं और हमें यह एहसास कराती है कि कठिनाईयां कितनी भी बड़ी क्यों न हों, इंसानी जज्बा और चिकित्सा विज्ञान की प्रगति मिलकर हर बाधा को पार कर सकती है। अर्शमान की कहानी भी ऐसी ही एक प्रेरणादायक गाथा है। अर्शमान, जो अब ढाई वर्ष का है, का जन्म दुर्लभ जन्मजात विकारों के साथ हुआ। उनके कानों की विकृत संरचना, असामान्य मध्य कान और कार्यहीन आंतरिक कान ने उन्हें पूरी तरह से बहरा बना दिया। इसके साथ ही, उन्हें जन्मजात हृदय रोग और अनुपस्थित मलाशय जैसी गंभीर समस्याएं थी। जन्म के तुरंत बाद, डॉक्टरों को उनकी जान बचाने के लिए आपातकालीन सर्जरी करनी पड़ी।
उनके माता-पिता, जो साधारण पृष्ठभूमि से आते हैं। अर्शमान के लिए हर संभव चिकित्सा सहायता प्राप्त करने की कोशिश की। हालांकि, उनकी जटिल शारीरिक संरचना और विकृतियों के कारण, कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी बार-बार अस्वीकार कर दी गई। अर्शमान के माता-पिता के संघर्षों के बीच, उनकी कहानी ने मुंबई के कुर्ला (पश्चिम) स्थित क्रिटीकेयर एशिया मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल के प्रसिद्ध ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. संजय हेलाले का ध्यान आकर्षित किया। डॉ. हेलाले, जिन्होंने अपने करियर में असंभव दिखने वाले मामलों को संभव बनाने में महारत हासिल की है और इस चुनौतीपूर्ण मामले को स्वीकार करने का साहस दिखाया।
डॉ. हेलाले के प्रयासों के पीछे उनके गुरु, स्वामी हरी चैतन्य पूरी जी महाराज की शिक्षाएं और मानवता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता प्रेरणा का स्रोत बनीं। स्वामी हरी चैतन्य पूरी जी महाराज ने उन्हें सिखाया था कि `हर जीवन महत्वपूर्ण है और हर मरीज के इलाज का प्रयास हमें पूर्ण समर्पण से करना चाहिए, चाहे मामला कितना भी जटिल क्यों न हो।’
अर्शमान की सर्जरी आसान नहीं थी। उनके असामान्य कान और संरचना के कारण यह मामला चिकित्सा विज्ञान के लिए चुनौतीपूर्ण था। भारत और अंतरर्राष्ट्रीय स्तर पर विशेषज्ञों के साथ गहन चर्चा और योजनाओं के बाद, यह तय हुआ कि सर्जरी को श्रव्या कॉक्लियर इंप्लांट द्वारा प्रायोजित किया जाएगा। अर्शमान की श्रव्या कॉक्लियर इंप्लांट सर्जरी सफल रही। महीनों के सघन फॉलो-अप और चिकित्सा पुनर्वास के बाद,अर्शमान ने पहली बार संगीत के स्वर सुने। उसकी छोटी-छोटी मुस्कान और संगीत पर प्रतिक्रिया ने उसके माता-पिता और डॉक्टरों के दिलों को गहराई से छू लिया।
अर्शमान की कहानी केवल चिकित्सा प्रगति की नहीं है, बल्कि यह साहस, आशा और समर्पण की भी गाथा है। यह डॉ. संजय हेलाले और आरएमएमएमआरटी ट्रस्ट के प्रयासों को भी दर्शाती है, जिन्होंने उसे जीवन जीने का एक नया मौका दिया। अर्शमान अब एक विशेष पुनर्वास कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा है, जो उसकी सुनने और बोलने की क्षमता को सुधारने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उसके माता-पिता का सपना है कि वह सामान्य बच्चों की तरह जीवन जिए और अपने भीतर छिपे हर संभावित सपने को पूरा करे।
डॉ. संजय हेलाले, जिन्होंने कई जटिल मामलों में सफलता पाई है, कहते हैं, `अर्शमान जैसे बच्चे हमें सिखाते हैं कि जीवन में कुछ भी असंभव नहीं है। उनकी सर्जरी से हमने न केवल एक चिकित्सा उपलब्धि हासिल की, बल्कि यह भी समझा कि उदारता और सामूहिक प्रयासों से हम दुनिया को बेहतर बना सकते हैं।’
श्रव्या कॉक्लियर इंप्लांट प्रोग्राम के जरिए डॉ. संजय हेलाले ने अर्शमान की प्रेरक यात्रा को एक उदाहरण दिया है कि जब विज्ञान, साहस और मानवता एक साथ मिलते हैं, तो चमत्कार होते हैं। यह कहानी उन हजारों परिवारों को उम्मीद देती है, जो किसी न किसी संघर्ष से जूझ रहे हैं। अर्शमान, जो कभी खुद को सुन नहीं सकता था, अब न केवल सुन सकता है, बल्कि दुनिया के संगीत से जुड़कर उसे महसूस भी कर सकता है।

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