योगेंद्र सिंह ठाकुर / पालघर
पालघर इन दिनों चिकनगुनिया और डेंगू की चपेट में हैं। यहां के कई इलाकों में चिकनगुनिया व डेंगू दोनों के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती दिख रही है। ११ जुलाई तक जिलेभर से डेंगू के २५४ और चिकनगुनिया के ५० मामले पाए गए हैं। बिगड़ती स्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्य में पालघर जिला मरीजों की संख्या के मामले में पहले स्थान पर है। यह बीमारी बरसात के मौसम में हर साल अपना पैर पसारती है, लेकिन समय रहते इस पर अंकुश लगाने के लिए उपाय नहीं किए गए।
डेंगू के २५४ मामले
जब मानसून शुरू होता है तो मौसम बदलता है इसलिए कई बीमारियां भी अपना विकराल रूप धारण करती हैं। इन दिनों में डेंगू मलेरिया और चिकनगुनिया के मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है। फिलहाल, जिले में मलेरिया के सिर्फ पांच मामले सामने हैं। डेंगू के मामलों की संख्या २५४ है और चिकनगुनिया के ५० मामले पाए गए हैं।
आठ तालुकाओं में प्रकोप अधिक
पालघर जिले की सभी आठ तालुकाओं पालघर, डहाणू, तलासरी, विक्रमगड, वाडा, जव्हार, मोखाड़ा, वसई में डेंगू और चिकनगुनिया के मरीज बढ़ने लगे हैं। पालघर तालुका में सबसे ज्यादा ६४ डेंगू के मरीज पाए गए हैं, जबकि चिकनगुनिया के सबसे ज्यादा १३ मरीज जव्हार तालुका में मिले हैं।
घर-घर किया जा रहा निरीक्षण
एक अधिकारी ने बताया कि जिन क्षेत्रों में डेंगू और चिकनगुनिया के मरीज हैं, वहां स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा कंटेनर सर्वेक्षण किया जा रहा है। इसमें घर-घर जाकर जल भंडारण बर्तनों का निरीक्षण किया जा रहा है। साथ ही क्षेत्र की साफ-सफाई का निरीक्षण भी किया जा रहा है। डेंगू और चिकनगुनिया मामले में बुखार के लक्षण लगभग एक जैसे ही होते हैं। हालांकि, डेंगू का वायरस चिकनगुनिया से ज्यादा खतरनाक होता है।
जीका बना जी का जंजाल
महाराष्ट्र में जीका शिंदे सरकार के लिए जी का जंजाल बनता जा रहा है। यह सरकार इसे रोकने में नाकाम होती हुई दिखाई दे रही है। इसी का नतीजा है कि इस बीमारी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, राज्य में अब तक जीका वायरस के कुल २१ मामले मिले हैं, जिसमें पुणे में १० गर्भवती महिलाओं समेत १८ मामले मिले हैं। फिलहाल, पुणे में मामले बढ़ते जा रहे हैं जो मनपा प्रशासन की मुश्किलों को बढ़ा रहे हैं। इसके साथ ही कोल्हापुर में एक, संगमनेर में एक और सासवड में एक मामले मिले हैं।