सामना संवाददाता / पाली
पाली जिले में ट्रैवल एजेंसियों द्वारा पर्यटकों के साथ की जा रही ठगी और लापरवाही लगातार बढ़ रही हैं, लेकिन प्रशासन इस पर कोई ठोस कार्यवाही करता नजर नहीं आ रहा। हाल ही में एक घटना सामने आई, जिसमें एक मिनी बस को ऑनलाइन बुक कर नाकोड़ा से फालना जाने वाले यात्रियों को अनावश्यक रूप से लंबी दूरी से घुमा कर लाया गया, जिससे न केवल उनका समय बर्बाद हुआ बल्कि ट्रेन पकड़ने की चिंता ने उन्हें मानसिक प्रताड़ना भी दी। क्या ट्रैवल एजेंसियां मनमाने तरीके से यात्रियों को लूटती रहेंगी और प्रशासन मूकदर्शक बना रहेगा?
गलत रास्तों से यात्रियों को घुमाना – नया ठगी का तरीका: यात्रियों ने जब फालना जाने के लिए एक मिनी बस बुक की, तो उन्हें सामान्य मार्ग से न ले जाकर समदड़ी और फिर पाली होते हुए घुमाया गया। इससे किराया बढ़ाने का खेल भी सामने आया, क्योंकि ट्रैवल एजेंसियां प्रति किलोमीटर के हिसाब से चार्ज करती हैं। यह जानबूझकर किया गया या ड्राइवर की नासमझी थी, इसका जवाब कौन देगा? क्या प्रशासन यह जांच करेगा कि ट्रैवल एजेंसियां यात्रियों को गलत मार्ग से ले जाकर उनका समय और पैसा बर्बाद कर रही हैं?
अनाड़ी और गैर-जिम्मेदार ड्राइवर, यात्रियों की जान जोखिम में: यात्रा के दौरान ड्राइवर का गैर-जिम्मेदाराना रवैया भी साफ नजर आया। उसने रात के समय गाड़ी को सड़क के बीच बने डिवाइडर पर चढ़ा दिया और बार-बार खतरनाक तरीके से ओवरटेकिंग की, जिससे दुर्घटना का खतरा बना रहा। लगातार हॉर्न बजाकर ध्वनि प्रदूषण करना भी उसकी आदत थी। इतना ही नहीं, जब यात्रियों ने उसका ड्राइविंग लाइसेंस मांगा, तो वह उपलब्ध ही नहीं था। आखिर बिना लाइसेंस के ड्राइवर सड़क पर कैसे गाड़ी चला रहे हैं? क्या प्रशासन कभी यह जांच करेगा कि ट्रैवल एजेंसियां किन्हें ड्राइवर बना रही हैं और वे कितने सक्षम हैं?
बीच रास्ते में गाड़ी रोककर जबरन किराया वसूली: यात्रा समाप्त होने से पहले ही ड्राइवर ने बीच रास्ते में गाड़ी रोक दी और यात्रियों को जबरन पूरा किराया अदा करने के लिए मजबूर किया। यात्रियों के पास समय कम था और ट्रेन पकड़ने की चिंता थी, जिसका फायदा उठाकर ड्राइवर ने भुगतान वसूल लिया। यात्रियों की मजबूरी का इस तरह फायदा उठाना क्या सही हैं? प्रशासन इस पर कब कार्रवाई करेगा?
टोल टैक्स की चोरी – ट्रैवल एजेंसियों का नया घोटाला: यह भी सामने आया कि 25-सीटर मिनी बस का टोल एक कार के नाम से पंजीकृत फास्टैग से दिया जा रहा था, यानी सरकार को टोल टैक्स में भी चूना लगाया जा रहा था। जब एक टोल नाके पर यह गड़बड़ी पकड़ी गई, तो मैन्युअल रसीद काटकर आगे बढ़ने दिया गया। लेकिन पूरे सफर में कई टोल नाकों पर इस तरीके से कर चोरी हुई। क्या प्रशासन इन ट्रैवल एजेंसियों की टोल टैक्स चोरी की जांच करेगा?
ड्राइवर खेती-किसानी छोड़कर ट्रांसपोर्टिंग में, यात्रियों की सुरक्षा भगवान भरोसे: यात्रा के दौरान ड्राइवर पुनाराम ने खुद कबूल किया कि वह मूल रूप से किसान हैं और सिर्फ बीड़ी, गुटखा और शराब के खर्च निकालने के लिए कभी-कभी गाड़ी चलाता हैं।उसकी बातें सुनकर साफ जाहिर हुआ कि वह सिर्फ तंबाकू-गुटखा ही नहीं, बल्कि शराब का भी शौकीन था। आखिर कैसे एक बिना अनुभव और गैर-जिम्मेदार व्यक्ति को सड़कों पर बस चलाने की अनुमति दी जा सकती हैं? क्या प्रशासन को इसका कोई अंदाजा नहीं हैं कि ये ड्राइवर यात्रियों की जान से खेल रहे हैं?
प्रशासन कब जागेगा? पाली जिले में ट्रैवल एजेंसियों की मनमानी और लापरवाही के कारण पर्यटकों की सुरक्षा खतरे में पड़ रही हैं। बिना लाइसेंस के ड्राइवर, गलत रूट से घुमा कर पैसे वसूलने की नीति, टोल टैक्स की चोरी और यात्रियों की मजबूरी का फायदा उठाना—ये सभी गंभीर मुद्दे हैं। सवाल यह हैं कि प्रशासन कब कार्रवाई करेगा? क्या ट्रैवल एजेंसियों की मनमानी ऐसे ही चलती रहेगी? क्या यात्रियों की जान से खिलवाड़ यूं ही होता रहेगा? प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे, ट्रैवल एजेंसियों की नियमित जांच करनी होगी, गाड़ियों के पंजीकरण और ड्राइवरों के लाइसेंस की निगरानी करनी होगी। अन्यथा, पर्यटकों को लूटने और उनकी जान को जोखिम में डालने का यह खेल अनवरत जारी रहेगा।