प्रेम यादव
मानसून का आनंद लेने के लिए कई लोग पर्यटन स्थलों पर घूमने के लिए जाते हैं। हर कोई अपनी रुचि के अनुसार पिकनिक मनानें निकल पड़ता है। लेकिन कई बार उनका सामना ऐसी अनहोनी से हो जाता है, जो जीवन भर याद रहता है। ऐसे ही महाराष्ट्र के लोनावाला में पिकनिक मनाने गए एक परिवार के ५ लोग हादसे का शिकार हो गए। इसके पहले भी कई लोग झरनों, नदियों और डैम के पानी में बह गए। लगातार घट रही इन घटनाओं से सरकार और प्रशासन की नाकामी पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
कई मामले आ चुके हैं सामने
-एक घटना ३ जुलाई २०२३ की है, जब पार्टी करने गए ५ दोस्त नागपुर की झिल्पी झील में डूब गए। आठ युवकों का समूह हिंगना क्षेत्र में स्थित झील पर पिकनिक मनाने गया था। इसी दौरान इनमें से कुछ युवक झील में नहाने चले गए, जिसमें पांच लोग डूब गए और उनकी मृत्यु हो गई।
-एक और दर्दनाक घटना इसी साल ६ मई पालघर में घटित हुई। पालघर के जव्हार इलाके के प्रसिद्ध दाभोसा झरने में डूबने से एक युवक की मौत हो गई। कुछ युवक झरने के पास नहाने के लिए पहुंचे। इस दौरान दो युवक झरने की १२० फीट ऊंचाई वाले स्थान पर चढ़ गए और छलांग लगा दी, जिसमें २४ वर्ष के युवक की मौत हो गई। दाभोसा झील घूमने के लिए ठाणे के काशीमीरा से ३ दोस्त आए थे।
सबक नहीं सीख रही सरकार
सरकार की सबसे बड़ी गलती यह है कि वह लगातार हो रही इन घटनाओं से सबक नहीं ले रही है और स्थायी समाधान के लिए कदम नहीं उठा रही है। सुरक्षा इंतजामों में कमी, चेतावनी संकेतों का न होना और प्रशासनिक निगरानी की कमी जैसी समस्याएं बार-बार इन हादसों का कारण बनती हैं। इन हादसों को रोकने के लिए सरकार को तुरंत और ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएं न हों। शासन और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वह नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और पिकनिक स्थलों पर उचित सुरक्षा व्यवस्था करे, ताकि लोग सुरक्षित रूप से अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिता सकें।
पल भर में पूरा परिवार हुआ खत्म
रविवार को पुणे के लोनावला के पास भूशी डैम झरने के पास एक परिवार पिकनिक मनाने गया था। झरने के जलस्तर में अचानक वृद्धि होने से हादसा हो गया। इस हादसे में एक महिला सहित चार बच्चों की पानी में डूबने से मृत्यु हो गई। जिनकी पहचान साहिस्ता लियाकत अंसारी (३६), अमीमा सलमान (१३), उमेरा सलमान (८), अदनान अंसारी (४) और मारिया अंसारी (९) के रूप में हुई है। घटनास्थल पर अचानक जलस्तर बढ़ने के कारण यह हादसा हुआ है। पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है, जिसके कारण झरने में पानी का प्रवाह अचानक बढ़ गया, जहां परिवार रुका था वहां का जलस्तर अचानक बढ़ जाने से यह हादसा हुआ। लोनावला पुलिस अधिकारी के अनुसार, यह घटना दोपहर करीब ३ बजे की है, जब पिकनिक पर गए ये पांच लोग झरने के पास फिसलकर पानी में गिर गए। इस घटना के बाद खोज और बचाव दल मौके पर पहुंचा और कार्रवाई शुरू की गई, सभी पांच लोग पुणे के सैयद नगर के एक ही परिवार के बताए जा रहे हैं।
जरूरी है सामूहिक भागीदारी
प्राकृतिक स्थलों पर पिकनिक मनाना एक सुखद अनुभव हो सकता है, लेकिन इसके लिए सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है। सरकार को चाहिए कि वह इन स्थलों पर सुरक्षा मानकों को लागू करे और नियमित निगरानी लाइफ जैकेट्स और अन्य सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाएं। नियमित अंतराल पर सुरक्षाकर्मियों द्वारा गश्त की जाए। पिकनिक स्थलों पर आने वाले लोगों को सुरक्षा के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाया जाए। आपातकालीन सेवाओं की त्वरित उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और चेतावनी संकेतों का पालन करना चाहिए। प्रशासन और जनता दोनों की सामूहिक भागीदारी से ही हम इन हादसों को रोक सकते हैं और सभी के लिए एक सुरक्षित वातावरण बना सकते हैं।
एड. नेहा सुरेश दुबे, अध्यक्ष, परिवर्तन संघटना, नालासोपारा
चेतावनी और संकेत के बोर्ड लगे
पिकनिक स्थलों पर बार-बार हो रहे हादसे हमारे आपदा प्रबंधन की कमजोरियों को उजागर करते हैं। इन घटनाओं को रोकने के लिए जरूरी है कि सरकार आपातकालीन सेवाओं की तत्परता सुनिश्चित करे। साथ ही लोगों को ऐसी जगहों पर जाने से पहले सुरक्षा निर्देशों का पालन करना चाहिए। प्रशासनिक गश्त और चेतावनी संकेतों की बढ़ोतरी से इन दुर्घटनाओं को काफी हद तक रोका जा सकता है।
अन्नू पाटील, संस्थापक, महाराष्ट्र राज्य महिला कामगार यूनियन, कांदिवली
सुरक्षा के नहीं हैं कोई इंतजाम
सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने की बात तो करती है, लेकिन सुरक्षा सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं है। पिकनिक स्थलों पर दुर्घटनाएं दुखद हैं और इन्हें रोका जा सकता है। सरकार को सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करने चाहिए और लोगों को भी सावधानी बरतनी चाहिए। सामुदायिक जागरूकता अभियान और स्थानीय गाइड्स की तैनाती से हादसों की संख्या में कमी आ सकती है। हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने आसपास के वातावरण को सुरक्षित और आनंददायक बनाएं। सरकार के भरोसे न बैठें, इनसे उम्मीद नहीं की जा सकती।
रोहित गुप्ता, आर.के. ड्रीम्स, मीरा-भायंदर
ऐसे हादसों से पर्यटन पर दुष्प्रभाव पड़ेगा
पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा की कमी न केवल यात्रियों के लिए खतरनाक है, बल्कि पर्यटन उद्योग के लिए भी हानिकारक है। सरकार को इन स्थलों पर सुरक्षा उपायों को कड़ाई से लागू करना चाहिए। हर पिकनिक स्थल पर चेतावनी संकेत, सुरक्षाकर्मी और आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध हों। इस तरह की पहल न केवल पर्यटकों की सुरक्षा को बढ़ाएगी, बल्कि पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा देगा।
पारस चपलोत जैन, समाजसेवक, मीरा रोड