कम पढ़ी-लिखी महिलाएं आसानी से होती हैं शिकार
इन बाबाओं पर रेलवे कब करेगी कार्रवाई?
ट्विंकल मिश्रा
महिलाओं की सुरक्षा के लिए मुंबई की लोकल ट्रेनों के डिब्बों में सीसीटीवी लगाए गए हैं, साथ ही इन डिब्बों में पुलिसकर्मिंयों की भी तैनाती की जाती है। इसके बावजूद लोकल ट्रेनों में खासकर महिला डिब्बों में अवैध रूप से हकीम, बाबाओं के पोस्टर्स लगे हुए दिखाई देते हैं। इन पोस्टर्स को देखने के बाद इन हकीम, बाबाओं के जाल में कम पढ़ी-लिखी महिलाएं आसानी से फंस जाती हैं। बता दें कि ट्रेनों में या रेलवे परिसर में इस तरह के पोस्टर्स चिपकाना गैर कानूनी है, उसके बावजूद ये लोकल ट्रेनों के डिब्बों में लगे हुए देखने को मिलते हैं? सवाल उठता है कि आखिर रेलवे ऐसे लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है।
पोस्टर में दिए होते हैं मोबाइल नंबर्स
इन पोस्टर्स पर क्या लिखा होता है, वह भी हम आपको बता देते हैं। ये पोस्टर हकीम, बाबाओं के होते हैं। इन पोस्टर में लिखा होता है कि अगर आप अपनी सौतन से परेशान हैं या आप अपने पति को वश में करना चाहती हैं या आप अपने बेटे की शादी करवाना चाहते हैं या किसी को अपने वश में करना चाहते हैं तो आप इस नंबर पर संपर्क करें। बड़े-बड़े अक्षरों में वहां पर हकीम बाबाओं का नंबर भी लिखा होता है। ये पोस्टर्स सैकड़ों की संख्या में एक डिब्बे में चिपके हुए होते हैं।
महिलाएं होती हैं सॉफ्ट टारगेट
ऐसे बाबाओं के निशाने पर अक्सर महिलाएं होती हैं, क्योंकि बाबाओं को पता होता है कि अगर एक भी महिला ने उनके पास फोन किया तो वे उन्हें आसानी से लूट सकते हैं, इसलिए महिला डिब्बों में इन पोस्टर्स को बड़ी संख्या में चिपकाया जाता है। हैरानी की बात यह है कि ये पोस्टर्स पंखे के पास, दरवाजे के पास इतना ही नहीं जो सीसीटीवी लगा है ठीक उसके बगल में भी लगा गए होते हैं। यह देखकर साफ पता चलता है कि इन पोस्टरों को चिपकाने वाले को कानून का कोई डर नहीं है।
बाबाओं के आगे नतमस्तक रेलवे
रेलवे के अधिकारियों से जब इस समस्या के बारे में बात की गई तो उन्होंने दूसरे अधिकारी से बात करने को कहा और इस विषय को टालने की कोशिश की। बता दें कि रेलवे की तरफ से प्लेटफॉर्म्स पर चेहरे स्वैâन करनेवाली मशीनें लगाई जा रही हैं ताकि किसी भी अपराधी को आसानी से पकड़ा जा सके, साथ ही रेलवे खुद यात्रियों की सुरक्षा को लेकर दंभ भरती रहती है, लेकिन इतनी बड़ी मशीनरी होते हुए भी रेलवे ऐसे पोस्टर्स को चिपकाने वालों को क्यों नहीं पकड़ पा रही है?
अवेयरनेस की जरूरत
हां, मैंने भी ऐसे पोस्टर्स महिलाओं के डिब्बे में देखे हैं, इन पोस्टर्स पर जो नंबर दिए गए हैं मैंने तो कुछ महिलाओं को उस पर बात करते हुए भी देखा है। मैंने तो एक महिला को समझाने की कोशिश भी की थी कि वे इन सब चीजों के चक्कर में न पड़ें। मुझे ऐसा लगता है कि हिंदुस्थान में आज भी ऐसी कई महिलाएं हैं जो इन बातों में विश्वास करती हैं और उन्हें समझा पाना नामुमकिन है। इसलिए इन चीजों पर अवेयरनेस पैâलाने की जरूरत है। रेलवे को इन सब चीजों पर कार्रवाई करके रोक लगानी चहिए। ऐसे लोग बड़े ढीठ होते हैं, हजार-पांच सौ रुपए फाइन भर के फिर से वही काम करते हैं।
– आकांक्षा यादव, टीचर
कई चीजें जो नहीं होनी चाहिए, वो हो रही है
सिर्फ पोस्टर की ही बात नहीं है, हमने देखा है कि महिला डिब्बे में जहां पुलिस होने चाहिए लेकिन वे नहीं होते हैं। लोकल ट्रेनों में २४ घंटे के लिए जो महिला डिब्बे होते हैं, वहां पर पुलिस हफ्ते में तीन से चार दिन मौजूद ही नहीं रहती है। इसके बाद कोई महिला इस बात की उम्मीद वैâसे करेगी कि ये लोग पोस्टर लगाने वालों पर एक्शन लेंगे। ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो रेलवे में नहीं होनी चाहिए, लेकिन हो रही है। इसकी जिम्मेदारी रेलवे को उठानी चाहिए।
– प्रतिमा सामंत, नौकरीपेशा
रेलवे को करनी चाहिए सख्त कार्रवाई
ये पोस्टर्स सिर्फ महिलाओं के ही डिब्बे में विशेषरूप से देखने को मिलते हैं। शायद पोस्टर लगाने वाला जानता है कि महिलाएं सबसे ज्यादा अंधविश्वासी होती हैं और वे आसानी से झांसे में फंस जाती हैं। यह दिमाग का खेल है, लेकिन क्या रेलवे इसका जिम्मेदार नहीं है? क्या रेलवे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर ढीलापन नहीं दिख रहा है? ऐसे लोगों पर कार्रवाई तो होती है, लेकिन नाम की होती है। ये लोग फाइन भरकर फिर से यही काम करने लगते हैं। मुझे लगता है कि रेलवे को इन सब चीजों के लिए सख्त सजा देनी चाहिए। ऐसे लोग महिलाओं की भावनाओं के साथ खेलते हैं।
– प्रभा नायर, गृहिणी
रेलवे का करोड़ोें रुपया होता है बर्बाद
रेलवे की संपत्ति पर इस तरीके से पोस्टर लगाना गैरकानूनी है, फिर भी यह पोस्टर बड़े पैमाने पर लगाए जाते हैं। इन पोस्टर्स की वजह से ट्रेनों की सुंदरता खराब होती है। जब इन पोस्टर्स को निकाला जाता है तो वहां काले धब्बे पड़ जाते हैं जो देखने में खराब लगता है। इस गंदगी को साफ करने के लिए रेलवे को करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। यह पैसा आम लोगों का ही होता है। इसलिए इस तरफ रेलवे को विशेष ध्यान देना चाहिए। -फातिमा जैद, नौकरीपेशा