शिक्षा के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी के नुकसान भी आने लगे सामने
संदीप पांडेय
दुनिया में टेक्नोलॉजी का बोलबाला है और हिंदुस्थान में टेक्नोलॉजी इस वक्त काफी आगे है। आज जिसका नाम लोगों की जुबान पर सबसे ज्यादा है वो है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी ‘एआई’। एआई धीरे-धीरे हर क्षेत्र में अपना विस्तार बढ़ा रहा है। एआई जहां एक तरफ लोगों के लिए उपयोगी साबित हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इसे लेकर लोगों के मन में यह भी डर है कि कहीं ये उनकी प्राइवेसी और नौकरी पर खतरा न बन जाए। एआई के जरिए कई सेलिब्रिटीज की प्राइवेसी के साथ छेड़छाड़ भी हो चुका है। जहां एआई टेक्नोलॉजी लोगों की मदद के साथ-साथ बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए भी मददगार साबित हुआ है तो वहीं अब बच्चे भी एआई शिक्षक से शिक्षा प्राप्त करेंगे। केरल में ‘एआई टीचर’ का अनावरण किया गया है। इससे देश की पहली एआई टीचर से बेरोजगारी बढ़ने की तीव्र संभावना जताई जा कही है। असके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी टेक्नोलॉजी के नुकसान भी सामने आने लगे हैं।
बच्चों को पढ़ाएगी ‘आइरिस’
शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल केरल के तिरुवनंतपुरम में केटीसीटी हायर सेकेंडरी स्कूल ने भारत का पहला जेनेरिक एआई महिला शिक्षक पेश किया है, जिसका नाम ‘आइरिस’ रखा गया है। आइरिस को मेकरलैब्स एडुटेक प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से विकसित किया गया है। यह एक ह्यूमनॉइड है, जो तीन भाषा बोलने के साथ सभी प्रश्नों के उत्तर देकर बच्चों की शिक्षा अनुभव को बढ़ाने में मदद करेगा। अब सवाल यह है कि क्या एक मशीन बच्चों को वो शिक्षा देने में सक्षम हो सकेगी जो एक मानव शिक्षक से मिलती है।
अलग-अलग गुणों वाले इन सभी रोबोटों को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि बहुत जल्द चारों तरफ एआई का बोलबाला होगा। ड्राइवर की सीट से लेकर इंसानों के रिलेशनशिप तक रोबोट की ही पकड़ होगी।
एआई हस्तक्षेप के खतरे
शिक्षा के क्षेत्र में एआई महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है लेकिन प्रौद्योगिकियों का प्रसार खतरों से भरी प्रगति का विरोधाभास प्रस्तुत करता है। सबसे खतरनाक जोखिमों में से एक डीपफेक, परिष्कृत डिजिटल जालसाजी का आगमन है, जो वास्तविकता और कल्पना के बीच की रेखाओं को धुंधला कर देता है, जिससे डिजिटल संचार में विश्वास कम हो जाता है। एआई-संचालित क्रिप्टोग्राफी और साइबर सुरक्षा अनुप्रयोगों के साथ, हेरफेर की संभावना बढ़ जाती है, जिससे वैश्विक सुरक्षा और सूचना अखंडता के लिए अभूतपूर्व चुनौतियां पैदा होती हैं।
प्राइवेसी में सेंध
जब से चैट जीटीपी लॉन्च हुआ है यह लोगों के लिए काफी सुविधाजनक हुआ है। इससे लोगों को अपने सवालों का जवाब आसानी से मिल जाता है। एआई के नाम पर लोगों की प्राइवेसी में भी सेंध लगाई जा रही है। इसकी आड़ में गोरखधंधा भी शुरु है। हाल ही में कई एक्टर और एक्ट्रेस के डीपफेक फोटो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे।
आ चुके हैं कई रोबोट
रोबोट नर्स
हांगकांग में २०२१ में दुनिया की पहली रोबोट नर्स ‘ग्रेस’ का अनावरण किया गया था। कोविड के दौरान ग्रेस मरीजों का इलाज भी कर चुकी है। यह ३ भाषाएं बोल और समझ सकती है।
सेलिब्रिटी रोबोट
‘सोफिया’ दुनिया की पहली सेलिब्रिटी रोबोट है, जो चेहरा और आवाज पहचानने के लिए जानी जाती है। सोफिया को सऊदी अरब की नागरिकता भी मिली है।
पेंटिंग रोबोट
‘आइडा’ पेटिंग करने में सक्षम है। इसके अलावा वो ऑक्सफोर्ड यूनियन में लेक्चर भी दे चुकी है। आइडा को अल्ट्रा रियलिस्टीक रोबोट का खिताब दिया गया है।
छात्रों का भविष्य एक जैसा नहीं रहेगा
निस्संदेह एआई छात्रों के लिए मददगार है। स्कूलों और कॉलेजों में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए छात्रों के पास कई उपकरण होंगे। छात्र एआई पर पूरा ध्यान नहीं दे सकते क्योंकि छात्रों का भविष्य एक जैसा नहीं रहेगा।
– मोहम्मद जानिब सलमानी, स्टूडेंट
मानवीय मूल्य भी आवश्यक
ज्ञान साझा करना और दूसरों को नई चीजें सीखने में सक्षम बनाना एक ऐसी प्रक्रिया है जो शिक्षण कौशल और बुद्धि की मांग करती है, जबकि एआई निस्संदेह स्व-सीखने से लेकर ज्ञान के प्रसार तक विभिन्न कार्य करने में सक्षम प्रौद्योगिकी की लहर का प्रतिनिधित्व करता है, इसमें शिक्षण प्रक्रिया के सबसे महत्वपूर्ण पहलू का अभाव है। व्यक्तियों को सीखने और खुद को बनाए रखने के लिए सशक्त बनाने की ड्राइव का अभाव है। इसके अलावा, शिक्षक न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि समाज और अपने छात्रों के साथ भावनात्मक संबंध भी विकसित करते हैं। इस संबंध के लिए न केवल ज्ञान के हस्तांतरण की आवश्यकता है बल्कि मानवीय मूल्यों की स्थापना भी आवश्यक है, जिसे केवल मनुष्य ही प्रभावी ढंग से प्रदान कर सकते हैं।
– श्रीमती मायरा अमित जयसिंघानी, शिक्षक
नौकरियों पर खतरा
निस्संदेह, एआई शिक्षण सहित कई नौकरियों की जगह लेने के लिए तैयार है। एआई असीमित दोहराव के साथ कभी भी, कहीं भी सीखने की सुविधा प्रदान करता है। जैसा कि कहा जाता है, ‘हर सिक्के के दो पहलू होते हैं’, एआई छात्रों की सुस्ती और मानवीय क्षमताओं के प्रति सराहना की कमी में योगदान दे सकता है। यह प्रवृत्ति अगली पीढ़ी को मानवता को परिभाषित करने वाली अद्वितीय प्रतिभाओं और क्षमताओं से दूर करने का जोखिम दर्शाती है।
-स्नेहा विशाल पंजाबी