प्रेम यादव
महाराष्ट्र के कई इलाकों में पिछले कई वर्षों से खुले गड्ढों में गिरने से कई लोगों की मौतें हो चुकी हैं, मरने वालों में कम उम्र के बच्चे ज्यादा हैं, जिनकी औसत उम्र ३ वर्ष से लेकर १० वर्ष के बीच रही है। प्रशासन की लापरवाही और सुरक्षा के नाम पर बदतर इंतजाम की वजह से सैक़ड़ों मामले सामने आए हैं, जिनमें मासूम बच्चों ने अपनी जान गंवाई हैं।
५ जुलाई, २०२२ को ठाणे के डोंबिवली इलाके में एक निर्माणाधीन इमारत में लिफ्ट के लिए खोदे गए पानी से भरे गड्डे में गिरकर वेदांत जाधव नामक छह साल के बच्चे की मौत हो गई। इसी तरह की दूसरी घटना २४ मार्च, २०२३ की है, जब ठाणे जिले के अंबरनाथ में पाइपलाइन के काम के लिए खोदे गए गड्ढे में गिरने से दो बच्चों की मौत हो गई थी। सूरज राजभर (८) और सनी यादव (६) खेलते हुए गड्ढे में गिर गए और डूबने से उनकी मौत हो गई थी, गड्ढे के आसपास कोई सुरक्षा के उपाय अथवा बैरिकेडिंग नहीं थी, पाइपलाइन बिछाने के लिए गड्ढा खोदा गया था और यही दोनों बच्चों का काल बन गया।
२५ मार्च, २०२३ को ठाणे के कल्याण में भी निर्माणस्थल पर पानी और कीचड़ से भरे दलदल में डूबकर ११ साल के रियान शेख नामक बच्चे की मौत हो गई। इसी वर्ष फरवरी की घटना है जहां टिटवाला में बलयानी इलाके में मुंबई वडोदरा जेएनपीटी हाईवे का अंडरपास रास्ते का काम चल रहा था, यहां कई फीट गहरा गड्ढा खोदा हुआ था, जिसमें ३ साल की बच्ची गड्ढे में गिर गई और उसकी मौत हो गई, सड़क बनाने वाली शिवालय कंपनी के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज किया गया। प्रशासन की लापरवाही की भेंट चढ़ चुके इन मासूमों को आज भी न्याय का इंतजार है।
गड्ढे में गिरकर बच्चे की गई जान
अभी ताजा मामला मीरा रोड के पेंकर पाड़ा का है, जहांं मनपा द्वारा बायोगैस परियोजना के लिए २ साल पहले गड्ढा खोदा गया था। २१ जून को इसी गड्ढे में गिरने से ५ वर्ष के श्रेयांश सोनी की जान चली गई। यह प्लांट सालों से बंद पड़ा हुआ था और गड्ढे भी तब से ही खुले थे, उसमें बारिश का पानी भर गया और मनपा की अनदेखी के कारण एक घर का चिराग बुझ गया। मनपा के खिलाफ सख्त करवाई की परिजनों ने सरकार से मांग रखी है।
ऐसी घटनाओं से सबक लेने की जरूरत है
इस तरह की घटनाएं हमेशा घटती रहती हैं, आज तक कितने लोगों पर कार्रवाई हुई? कोई आंकड़ा है क्या? नहीं, कहीं भी कुछ नहीं… पुलिस मामला दर्ज करके जांच क्या करती है कभी सोचिए! सारा मामला खानापूर्ति तक सीमित रहता है, लोग भूल जाते हैं, जिसके साथ हादसा होता है वे जीवन भर हादसे का बोझ मन पर लिए रोते रहते हैं।
सचिन मांजरेकर, संस्थापक- प्रेरणा प्रतिष्ठान ट्रस्ट, मीरा-भायंदर
सारे सेफ्टी के नियम ताक पर रखते हैं ठेकेदार
यह एमबीएमसी की सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि यह जानबूझकर किया हुआ क्राइम है। आज मीरा-भायंदर में जिस जगह देखो खुदाई का काम चालू है, लेकिन आपको हर जगह सेफ्टी में लापरवाही दिखेगी। यह जो हादसा पेंकर पाड़ा में बच्चे के साथ हुआ, इसकी जांच करके सारे दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो, नहीं तो हम शहर की जनता के साथ मिलकर उग्र आंदोलन करेंगे।
गुलाम नबी फारुकी, जिला-कार्याध्यक्ष एनसीपी (एसपी), मीरा-भायंदर
मात्र आयुक्त जिम्मेदार हैं, दूसरा कोई नहीं
इस पूरे मामले में अगर कोई दोषी है तो वह है मनपा आयुक्त। आयुक्त के खिलाफ फौजदारी मामला दर्ज होना चाहिए। मनपा आयुक्त ने सुरक्षा रक्षकों की कटौती कर रखी है। ऊपर से नगरसेवकों के रिश्तेदार नौकरी कर रहे है, जो काम सिर्फ हाजिरी लगाने का करते हैं, जिन्हें किसी भी चीज से सरोकार नहीं है। ऐसे में दुर्घटना तो होगी ही। इसे रोकने के लिए जन आंदोलन की जरूरत है।
संदीप राणे, मीरा-भायंदर
कड़क कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है
जनहित के मुद्दों की जब सरकारी यंत्रणा अनदेखी करती है, तब मानवाधिकार आयोग और मा. उच्च न्यायालय ने कई बार स्वत: संज्ञान में लेकर प्रशासन को लताड़ते हुए कार्रवाई के आदेश दिए हैं और प्रशासन को जवाब-तलब किया है, लेकिन सभी मुद्दे सामने नहीं आ पाते हैं। यह प्रक्रिया हर बार दोहराई जाएगी। तब कानून का डर बनेगा और गैर जिम्मेदार प्रशासन को सबक मिलेगा।
एडवोकेट वरुण तिवारी, कांदिवली, मुंबई
ऐसी घटनाएं अंदर तक झकझोर देती हैं…
एक महिला होने के नाते मैं परिवार की पीड़ा समझ सकती हूं, किसी भी मां के लिए यह दु:ख पहाड़ जैसा है, बहुत दु:ख और पीड़ा से यह बताना पड़ रहा है कि शुक्रवार २१ जून को पांच साल के श्रेयांश सोनी की बायोगैस परियोजना के लिए खोदे गए एक खुले गड्ढे में गिरने से मौत हो गई। मेरी संवेदना उनके परिवार के साथ है। साथ ही मनपा अधिकारियों से आग्रह है कि इस प्रकार कहीं भी गड्ढे या गटर को खुला न छो़ड़ें, जिससे किसी के घर का चिराग बुझ जाए।
रेनू मल्लाह, मीरा रोड
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