पीओके से जुड़े जिक्र में भी किया संशोधन
ट्विंकल मिश्रा
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने ११वीं और १२वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की किताब में कई बड़े बदलाव करते हुए गुजरात दंगों, मणिपुर, मुगलों और अल्पसंख्यकों से जुड़े कई संदर्भ हटा दिए हैं।
ये बदलाव एनसीईआरटी की नई किताबों में कब से देखने को मिलेंगे, यह अभी साफ नहीं है, क्योंकि नया सेशन शुरू हो गया है और ये किताबें अभी बाजार में नहीं आई हैं। अभी देश के २३ राज्यों में एनसीईआरटी सिलेबस पर आधारित किताबें पढ़ाई जाती हैं। इनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, कर्नाटक, त्रिपुरा, हरियाणा, मिजोरम और दिल्ली शामिल हैं।
गुजरात दंगों का संदर्भ हटा
एनसीईआरटी के चैप्टर ५ में डेमोक्रेटिक राइट्स से गुजरात दंगों का संदर्भ हटा दिया गया है। इस चैप्टर में एक न्यूज कोलाज दिया गया था जिसमें गुजरात के दंगों का जिक्र था। पहले इस पैराग्राफ में लिखा था कि क्या आपने इस पेज पर न्यूज कोलाज में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का संदर्भ देखा? ये संदर्भ मानव अधिकारों के प्रति बढ़ती जागरूकता और मानवीय गरिमा के लिए संघर्ष को दर्शाते हैं। कई क्षेत्रों में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामले सामने आए हैं, उदाहरण के लिए- गुजरात दंगे को पब्लिक नोटिस में लाया गया। अब इस पैराग्राफ को बदल कर लिखा गया है कि देश भर में मानवाधिकार उल्लंघन के कई मामलों को पब्लिक नोटिस में लाया गया।
मणिपुर की घटना भी हटी
कक्षा १२वीं की किताब के पहले चैप्टर में पेज १८ पर मणिपुर से जुड़े संदर्भ को भी हटा दिया गया है। मणिपुर को लेकर भाजपा की सबसे अधिक किरकिरी हुई है। वहां अभी भी रक्तरंजित हिंसा चालू है, लेकिन इस संदर्भ में पीएम मोदी ने कभी न तो कुछ बोला, न ही वहां का दौरा किया। जबकि इस घटना को लेकर विदेशी मीडिया ने भी खूब लिखा। बता दें मणिपुर में पिछले साल ३ मई से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़की हुई है। हिंसा की इन झड़पों में कम से कम २०० से अधिक लोग मारे गए हैं और लगभग ५०,००० से अधिक लोग बेघर हो गए हैं।
पीओके के जिक्र में भी बदलाव हुआ
इसके अलावा चैप्टर ७ में पेज ११९ पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा विवाद का जिक्र है। एनसीईआरटी ने स्पष्ट किया है कि जो बदलाव किया गया है, वह जम्मू-कश्मीर के संबंध में मौजूदा स्थिति से पूरी तरह मेल खाता है। २०२३ में एनसीईआरटी ने १२वीं कक्षा के लिए इतिहास, नागरिक शास्त्र और हिन्दी के सिलेबस में बदलाव किए थे। इतिहास की किताब से मुगल साम्राज्य से जुड़ा चैप्टर हटाया गया था और हिंदी की बुक से कुछ कविताएं और पैराग्राफ हटाने का निर्णय लिया गया था।
मुगल शासकों के इतिहास को हटाया गया
अपडेटेड सिलेबस के मुताबिक, थीम्स ऑफ इंडियन हिस्ट्री-पार्ट घ्घ् से मुगल दरबार (१६वीं और १७वीं शताब्दी) और मुगल शासकों के इतिहास से संबंधित अध्यायों को हटाया गया है। नागरिक शास्त्र की किताब से ‘यूएस हेजेमनी इन वर्ल्ड पॉलिटिक्स’ और ‘द कोल्ड वॉर एरा’ जैसे चैप्टर हटाए गए हैं।
चैप्टर निकाल देना कोई हल नहीं
चैप्टर को निकालने की बजाय अगर उन्हें बच्चों को और अच्छे से समझाया जाता तो ज्यादा बेहतर होता। चैप्टर को निकाल देना कोई हल नहीं है। जो चैप्टर बच्चों की किताबों में से निकल गए हैं, अगर उन चैप्टर के दोनों पहलुओं को बच्चों को समझाएं जाते तो उन्हें इतिहास पढ़ने में और मजा आता। बात रही साइंस की तो, उसमें भी चैप्टर निकालने की कोई जरूरत नहीं थी, अच्छा होता बच्चे अधिक जानकारी लेकर अपनी जानकारी में इजाफा करते। सरकार का यह फैसला बेतुका है।
गायत्री, शिक्षिका
सरकार नौकरियोंं पर ध्यान दे चैप्टर पर नहीं
मुझे नहीं लगता कि चैप्टर निकालने से हमारा बर्डन कम हो जाएगा या इससे कुछ फायदा होगा। अच्छा होता कि हम उस कहानी के दोनों पहलू पढ़ पाते। बाबरी मस्जिद और गोधरा कांड हमारे देश का एक सबसे बड़ा इतिहास है। अच्छा होता कि हम उसके बारे में पढ़ते और दोनों चीजों की तरफ नजर डालते। हम जो पढ़ रहे हैं हमारे लिए ठीक है। पढ़ाई के बाद हमारा क्या होगा यह सरकार की जिम्मेदारी है। वैकेंसी को भरना सरकार का काम है। सरकार को नौकरियोंं पर ध्यान देना चाहिए बच्चों के चैप्टर पर नहीं।
मोनिका गुप्ता, स्टूडेंट
असली मुद्दों से ध्यान भटका रही है सरकार
हमें लगता है कि हमें उन चीजों को पढ़ना चाहिए था, जो सरकार निकालने की बात कर रही है। चैप्टर निकाल देने से हमारा कोई नुकसान नहीं होगा और चैप्टर रहने से भी हमारा कोई नुकसान नहीं होगा। लेकिन हां हमें इतिहास जानने में आसानी होगी। सरकार को बच्चों के सिलेबस पर नहीं बल्कि देश के सरकारी स्कूलों को अच्छा बनाने पर ध्यान देना चाहिए। अगर चैप्टर रहेंगे तो बच्चों का ज्ञान बढ़ेगा लेकिन जब स्कूल ही नहीं होंगे तो बच्चे पढ़ेंगे वैâसे? मुझे लगता है कि सरकार बच्चों को गुमराह करने के लिए और असली मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए काम कर रही है।
शुभम तिवारी, स्टूडेंट
इतिहास जानना सबका हक है
कुछ बच्चों को लग रहा है कि हमारे सिलेबस से चैप्टर कम हो गए हैं तो हमारा बोझ कम हो गया है। लेकिन मैं इतिहास को लेकर काफी इंटरेस्टेड हूं। इसलिए मुझे लगता है कि इन चैप्टर को नहीं निकलना चाहिए था। एक या दो चैप्टर हटाने या कम-ज्यादा करने से कुछ नहीं होगा। मुझे लगता है कि सत्ताधारी पार्टी ऐसा करके कुछ छुपाने की कोशिश कर रही है। कहीं न कहीं ऐसा भी लग रहा है कि असली मुद्दों को छुपाने के लिए सरकार ऐसे कदम उठा रही है। इतिहास जानना हर किसी का हक है और पढ़ना भी। बच्चों के लिए हर एक जानकारी जरूरी होती है जो किताब में मौजूद होनी चाहिए। सरकार शिक्षा केंद्र को और अच्छा बनने पर ध्यान दे तो बच्चों के भविष्य के लिए उचित होगा।
कोमल करवेकर, स्टूडेंट