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१० सालों तक गुप्त रूप से बढ़ता है पार्किंसंस! डोपामिनर्जिक न्यूरॉन्स को करता है प्रभावित, नए शोध से जानकारी आई सामने

सामना संवाददाता / मुंबई
पार्किंसंस पर हुए हालिया शोध से पता चला है कि यह बीमारी १० साल से अधिक समय तक इंसान के शरीर में गुप्त रूप से बढ़ती है। नेचर कम्यूनिकेशंस जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार पार्किंसंस रोग मस्तिष्क में डोपामिनर्जिक न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है। यूनिवर्सिटी डी मॉन्ट्रियल के न्यूरोसाइंटिस्ट लुइस-एरिक ट्रूडो के नेतृत्व में एक टीम ने चूहों पर पार्किंसंस के प्रभाव को समझने की कोशिश की। शोध में टीम ने पाया कि चूहों के दिमाग में डोपामाइन रसायन की सक्रियता कम हो गई, जिससे मस्तिष्क पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया।
यूनिवर्सिटी डी मॉन्ट्रियल के फार्माकोलॉजी, फिजियोलॉजी और न्यूरोसाइंसेज विभाग के प्रोफेसर ट्रूडो के मुताबिक, यह अवलोकन हमारी प्रारंभिक परिकल्पना के खिलाफ थी। लेकिन विज्ञान में ऐसा अक्सर होता है और इसमें डोपामाइन वास्तव में क्या करता है, इसके बारे में हमारी निश्चितता का परीक्षण करने का अवसर प्रदान किया। आनुवंशिक हेरफेर का उपयोग करके टीम ने इन कोशिकाओं की सामान्य दर पर इस रासायनिक संदेशवाहक डोपामाइन को छोड़ने की न्यूरॉन्स की क्षमता को हटा दिया। उन्हें उम्मीद थी कि इन चूहों को मोटर फंक्शन में गिरावट का अनुभव होगा, जैसा कि पार्किंसंस वाले रोगियों में देखा जाता है। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि चूहों ने पूरी तरह से सामान्य गति क्षमता दिखाई। इस बीच कुल मस्तिष्क डोपामाइन स्तर के माप से पता चला कि इन चूहों के मस्तिष्क में डोपामाइन की बाहरी कोशिकीय स्तर सामान्य थी।
यह है अच्छा संकेत
ये नतीजे संकेत दे रहे हैं कि डोपामाइन का कम स्तर मस्तिष्क की गतिविधियों के लिए पर्याप्त हैं। इसलिए यह संभावना है कि पार्किंसंस रोग के प्रारंभिक चरण में मस्तिष्क में बेसल डोपामाइन का स्तर कई वर्षों तक काफी ऊंचा रहता है। ऐसा तभी होता है जब न्यूनतम सीमा पार हो जाती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, मस्तिष्क में डोपामाइन की धारा मेंं शामिल तंत्र की पहचान करने से असाध्य पार्किंसंस रोग के लक्षणों को कम करने के लिए नए दृष्टिकोण सामने आ सकते हैं।

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