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ठेले पर निकला पशुपति पारस का सामान …‘हम किसी के न रहे, कोई हमारा न रहा’

सामना संवाददाता / पटना
राजनीति में कौन-सा गीत, कब गुनगुनाना पड़े यह कोई नहीं जानता। पशुपति कुमार पारस अब यही गुनगुना रहे होंगे कि कोई हमदम न रहा कोई सहारा न रहा, हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा। पशुपति कुमार पारस के सारे राजनीतिक कदम तात्कालिक लाभ को देखकर उठाए गए थे। चिराग पासवान ने चाल सियासी चली, लेकिन उसके लिए सब्र बनाए रखा। सियासत में सब्र के भी अपने मायने हैं। फर्श से उठकर अर्श तक जाने में अरसा लगता है। जल्दबाजी में सब कुछ नहीं होता। जी हां, पशुपति कुमार पारस से उनकी कथित पार्टी का कार्यालय भी छीन गया है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और रालोजपा अध्यक्ष पशुपति पारस ने आखिरकार पटना स्थित सरकारी बंगला खाली कर दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने नया आशियाना भी तलाश लिया है। सरकारी बंगले से अपनी पार्टी का कार्यालय हटाने के एक दिन बाद ही पशुपति नई जगह पर पार्टी दफ्तर खोलने की तैयारी में जुट गए हैं। जानकारी के मुताबिक, पशुपति पारस अब अपने निजी आवास के बगल में नए दफ्तर का निर्माण करवा रहे हैं। बता दें कि भवन निर्माण विभाग ने उनके वन व्हीलर रोड वाले सरकारी बंगला को खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था, जिसके बाद पशुपति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी।
हालांकि, हाई कोर्ट ने भवन निर्माण से मिली डेडलाइन को जरूर बढ़ा दिया था। पशुपति पारस की पार्टी के नेताओं ने ११ नवंबर की सुबह सरकारी बंगले से पार्टी दफ्तर का सामान हटा लिया था। पशुपति कुमार पारस के सियासी अरमानों का ढेर सारा सामान ठेले पर जाता हुआ दिखा। पार्टी दफ्तर में बने रामचंद्र पासवान स्मृति भवन के करकट को भी पशुपति पारस गुट के नेताओं ने निकलवा लिया था। अब कौटिल्य नगर में पार्टी दफ्तर खोला जाएगा। वहां नए सिरे से निर्माण कार्य कराए जाएंगे। इसी कार्यालय से २०२५ में होनेवाले विधानसभा चुनाव की रूपरेखा तय की जाएगी।

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