– अकेलेपन के हैं शिकार
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
टीबी से लड़ने पर सरकार कितने भी पैसे खर्च करे, अगर मरीज इलाज पूरा नहीं करता तो सब बेकार है। बीते आठ वर्षों में जहां ५०० से अधिक मरीज बीच में ही इलाज छोड़कर अस्पताल से गायब यानी फरार हुए है, वहीं करीब चार हजार रोगी चिकित्सा सलाह लेकर शिवड़ी टीबी अस्पताल से इलाज छोड़ अपने घर लौट गए। मरीजों के ऐसा करने की प्रमुख वजह उनका अकेलापन है।
बता दें कि आरटीआई कार्यकर्ता चेतन कोठारी ने टीबी अस्पताल से आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी कि कितने टीबी मरीज चिकित्सा सलाह के आधार पर इलाज छोड़ भागे हैं और कितने मरीज बीच में ही इलाज छोड़कर अस्पताल से फरार हुए हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, साल २०२१ से मई २०२४ तक १,५७४ टीबी मरीज अस्पताल में इलाज कराने की बजाय चिकित्सा सलाह के आधार पर घर चले गए हैं, जबकि इस अवधि में ८३ मरीज अपना इलाज बीच में ही छोड़कर फरार हो गए।
हैवान बने परिजन
मुंबई मनपा द्वारा संचालित शिरडी टीबी अस्पताल में कई ऐसे मरीज हैं, जो ठीक होने के बाद भी यहां सालों से रह रहे हैं। ऐसे में वे परेशान और हताश हो जाते हैं और अस्पताल में मौजूद तमाम सुरक्षा को चकमा देकर भाग निकलते हैं।
अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक कई मरीज ऐसे हैं, जिनके परिजन हैवानियत की सारी हदें पार कर चुके हैं। ये मरीज पूरी तरह ठीक हो गए हैं। ऐसे में उन्हें घर ले जाने की बजाय लौटने पर जान से मारने तक की धमकी दिए हुए हैं। इस धमकी से डरे मरीज वापस घर नहीं लौटना चाहते हैं। इसके साथ ही वे अस्पताल से तो भाग जाते हैं, लेकिन घर नहीं जाते हैं।
अस्पताल में ही बस गए हैं परिजन
सूत्रों के मुताबिक, कई मरीज ऐसे हैं जो ठीक होने के बाद भी घर नहीं लौटना चाहते हैं, क्योंकि उनके परिजन भी अस्पताल में ही आकर रह रहे हैं। अस्पताल मरीजों को वॉर्ड में, जबकि अन्नपूर्णा नामक संस्था उनके परिजनों को बाहर भोजन का प्रबंध कर रही है। हालांकि, उनका अपना ख्रुद का आवास है, जिसे वे किराए पर दे दिए हैं और ये सभी अस्पताल में ही बस गए हैं।
पांच सालों से अस्पताल में ही रह रहे हैं २५ मरीज
सूत्रों के मुताबिक टीबी अस्पताल में करीब २५ मरीज ऐसे हैं, जो पिछले पांच सालों से घर गए ही नहीं। इनमें पांच महिलाओं का भी समावेश है। हालांकि, उनके लिए कई संस्थानों से मदद मांगी गई, लेकिन इनके एक्सरे में पुराने टीबी का डॉट दिखाई देने के चलते संस्थाएं किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती।