रोजी-रोटी के चक्कर में।
घर से बाहर जाते लोग।।
अच्छे दिन का भाषण लेकर ।
खुशी खुशी घर आते लोग।।
रोते गाते किसी तरह से।
जीवन यहां बिताते लोग।।
आश्वासन को बड़ा बनाकर ।
सुबह शाम चिल्लाते लोग।।
महंगाई महंगाई गाकर।
महंगाई हैं लाते लोग ।।
बच्चों की जब बात चले तब ।
सारा दर्द सुनाते लोग।।
कैसे सारा खर्च चलेगा।
सोच सोच दुख पाते लोग ।।
पत्नी की पीड़ा के आगे।
खुद दोना हो जाते लोग।।
और पिता की मजबूरी से।
हरदम आंख चुराते लोग।।
माता जी की चुप्पी का भी ।
मतलब नहीं बताते लोग।।
मुहर लगाने की गलती पर ।
जरा नहीं पछताते लोग।।
इसी तरह की दिनचर्या में।
दर्द लिए सो जाते लोग।।
-अन्वेषी