सामना संवाददाता / मुंबई
प्रदेश में इन दिनों अराजकता का माहौल है। जगह-जगह हत्या, चोरी, छिनैती और धारदार हथियार से हमले हो रहे हैं। गांव के सरपंच से लेकर शहरों में हाई प्रोफाइल सोसाइटियों के लोग भी सुरक्षित नहीं है। ऐसे में अब उद्योग जगत पर भी आफत नजर आ रही है। खबर पुणे के पिंपरी चिंचवड के एमआईडीसी से आई है, जहां बड़े पैमाने पर उद्योगपतियों को धमकाने और जबरन वसूली, धमकियों के मामले सामने आए हैं। क्षेत्र के पुलिस आयुक्तालय ने उद्योगों के लिए सुरक्षित और भयमुक्त माहौल सुनिश्चित करने हेतु औद्योगिक शिकायत निवारण दल की मदद ले रही है। इसके बावजूद दो सालों में अब तक ११ जबरन वसूली के मामले दर्ज कर ३१ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है।
उद्योगों में ठेके और कॉन्ट्रैक्टों के लिए प्रतिस्पर्धा के चलते कई बार स्थानीय दबाव बनते हैं। माथाड़ी कामगारों के नाम पर कंपनियों के अधिकारियों पर दबाव डालने या जबरदस्ती वसूली जैसे मामलों की शिकायतें सामने आई हैं। हालांकि, व्यवसायिक प्रतिष्ठा और डर के चलते उद्यमी शिकायत दर्ज कराने से कतराते हैं। पिछले दो सालों में ३७ आरोपियों की पहचान की गई, जिनमें से ३१ गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इन आरोपियों पर जबरन वसूली, धमकी, या अन्य गैरकानूनी दबाव की शिकायतें दर्ज हैं। यहां कई मामले दर्ज ही नहीं किये जाते हैं तो कई मामलों में उद्योगपति डर कर शांत बैठ जाते हैं।
अब पुलिस ने उद्योगपतियों को आश्वासन दिया है कि शिकायतकर्ता का नाम गोपनीय रखा जाएगा। साथ ही उद्यमियों को संगठनों के माध्यम से जानकारी दी जा रही है, ताकि वे आगे आकर शिकायत दर्ज कर सकें। संदीप डोईफोडे (पुलिस उपायुक्त) ने कहा कि हम उद्यमियों को लगातार जागरूक कर रहे हैं। जो भी शिकायत करेगा, उसका नाम पूरी तरह से गुप्त रखा जाएगा।