मुख्यपृष्ठग्लैमर`लोग बड़े खतरनाक हैं!' -अक्षय भगत

`लोग बड़े खतरनाक हैं!’ -अक्षय भगत

लोकप्रिय धारावाहिक ‘बालवीर रिटर्न’ में छेड़ा जी की भूमिका निभाकर चर्चा में आए सुविख्यात कलाकार अक्षय भगत आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने अब तक `टीवी बीवी और मैं’, `राबी’, `नागिन’ समेत तमाम टीवी धारावाहिकों के अलावा बड़े पर्दे पर `रॉक कौन टू’, `जीनियस’, `मिडिल क्लास लव’ और हालिया रिलीज `गुमराह’ से खासी सुर्खियां बटोरी हैं। पेश है, अक्षय भगत से सोमप्रकाश `शिवम’ की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

• आप अपनी अब तक की फिल्म यात्रा को कैसे देखते हैं?
बहुत ही शानदार! क्योंकि फिल्मों में आदमी अमर हो जाता है। मैंने पूनम पांडे की डेब्यू फिल्म ‘नशा’ में एक डॉक्टर का किरदार निभाया था। लोग आज भी राह चलते मुझे उस किरदार के रूप में आसानी से पहचान लेते हैं, तब मुझे बेहद खुशी होती है। मैंने अब तक दर्जनों धारावाहिक, १०० से ज्यादा विज्ञापन और अब तक दर्जन भर से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। मैंने `बिग बॉस’ का प्रोमो सलमान के साथ, `डांस दीवाने’ का प्रोमो माधुरी दीक्षित के साथ, कार २४ का महेंद्र सिंह धोनी के साथ और हेवल्स का विज्ञापन आलिया भट्ट के साथ पूरा किया है। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि मैं अब कहीं पिछड़ रहा हूं। मैं दिन-रात मेहनत कर निरंतर ज्यादा-से-ज्यादा काम पाने के लिए प्रयास करता रहता हूं।

• वर्तमान में आप किन प्रोजेक्ट्स में व्यस्त हैं?
मैंने हाल ही में आर. माधवन के साथ फिल्म `हिसाब बराबर’ पूरी की है, नीतू कपूर के साथ `लेटर टू मिसेज खन्ना’, इसके अलावा कुछ और फिल्में भी मैंने पूरी की हैं। फिल्म `मिडिल क्लास लव’ और हालिया रिलीज `गुमराह’ से लोगों के बीच विश्वास और बढ़ा है।

• इंडस्ट्री के बड़े नामचीन कलाकारों के साथ काम करने का अपना अनुभव साझा करें?
कलाकार तो सभी अच्छे होते हैं, लेकिन उनके दाएं-बाएं रहनेवाले लोग बड़े खतरनाक। मेरे खयाल से बड़े कलाकारों को लोगों की भावनाओं को समझते हुए अपने इर्द-गिर्द रहनेवाले लोगों पर अंकुश रखना चाहिए, ताकि वह किसी के साथ दुर्व्यवहार न करें। क्योंकि बड़े कलाकार बहुत ही डाउन टू अर्थ होते हैं। वह कभी भी साथी कलाकार को नजरअंदाज नहीं करते और मौका मिलते ही सेल्फी भी खिंचाते हैं।

• सामान्य घरों से आनेवाले कलाकारों को काम पाना कितना आसान होता है?
हमारा बॉलीवुड एक ऐसी जगह है जो लाखों लोगों को पनाह देता है। बॉलीवुड चलता है तो ढेरों व्यवसाय रफ्तार पकड़ते हैं। कपड़ों की इंडस्ट्री बॉलीवुड पर ही निर्भर करती है, टूर एंड ट्रेवल्स, तमाम नए-नए उत्पाद इत्यादि बॉलीवुड पर बहुत कुछ निर्भर करता है। यहां किस्मत और टैलेंट ही चलता है इसलिए आपके पास लक्ष्य का होना बहुत जरूरी है, बाकी किस्मत पर ही सब कुछ तय होगा।

• क्या आप कभी नेपोटिज्म का शिकार हुए हैं?
नेपोटिज्म से हमारा दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं रहता। मेरे खयाल से देश में जब नेता का बेटा नेता बन सकता है, डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बन सकता है तो फिर एक्टर का बेटा एक्टर क्यों नहीं बन सकता? हां, इतना जरूर है परिवारवाद के चलते आप अपने बेटे को यहां काम तो दिला सकते हैं लेकिन फिल्में सफल कराना आसान नहीं क्योंकि यहां परिवार नहीं काम बोलता है।

• क्या इंडस्ट्री में लड़के भी कास्टिंग काउच का शिकार होते हैं?
भगवान जाने कलयुग है कुछ भी हो सकता है। लोगों की अपनी-अपनी चॉइस है और लोगों के अपने-अपने दर्द। खैर, मेरे साथ में कभी ऐसा हुआ नहीं और न मुझे इसका कोई अनुभव है। हां, थोड़ा बहुत मीडिया के माध्यम से सुनता तो मैं भी हूं कि इस तरह की घटनाएं बॉलीवुड में क्या लड़का क्या लड़की कुछ लोगों के साथ हो जाती हैं, तभी बाहर तक आवाज आती है। लेकिन मेरा अपना कोई अनुभव नहीं है, जिसे मैं साझा कर सकूं।

•  मुंबई में बढ़ते प्रदूषण को आप कैसे देखते हैं?
मुंबई में प्रदूषण बढ़ा है यह सत्य है लेकिन मुंबई में विकास भी बढ़ा है। अगर विकास होगा तो प्रदूषण भी होना सुनिश्चित है। सरकार को चाहिए दोनों को बैलेंस करके चले। विकास के साथ-साथ किसी तरह प्रदूषण पर भी अंकुश लगना जरूरी है। पहले की तुलना में मुंबई में लोगों की भीड़ जरूर थोड़ी कम हुई है क्योंकि अब देश में विकास बढ़ा है तो लोगों को अपने नजदीकी क्षेत्र में रोजगार के अवसर भी सुलभ हुए हैं।

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