सामना संवाददाता / मुंबई
शेख हसीना ने लोकतंत्र का मुखौटा पहनकर तानाशाही चलाई, इसीलिए जनता ने विद्रोह कर दिया। शेख हसीना के मामले में केवल इतना ही कहा जा सकता है कि जो कोई भी अपने देश में तानाशाही लाना चाहता है और लोकतंत्र की आड़ में स्वतंत्रता को खतरे में डालना चाहता है, जनता उसे कभी माफ नहीं करती है। साथ ही तानाशाही के खिलाफ जनता सड़कों पर उतर जाती है। इस तरह का जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने किया।
दिल्ली में कल मीडिया से बातचीत करते हुए संजय राऊत ने कहा कि सरकार को शेख हसीना पर अपनी भूमिका स्पष्ट करनी चाहिए। शेख मुजीबुर्रहमान और उनके परिवार के इस देश से अच्छे संबंध हैं। संजय राऊत ने कहा कि इंदिरा गांधी की वजह से पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया। इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के बंटवारे का बदला लिया। पाकिस्तान का विभाजन कर नया बांग्लादेश बनाया, लेकिन बांग्लादेश हमेशा अस्थिर रहा। शेख हसीना के मामले में केवल इतना ही कहा जा सकता है कि जो कोई भी अपने देश में तानाशाही लाना चाहता है और लोकतंत्र की आड़ में स्वतंत्रता को खतरे में डालना चाहता है, लोग उन्हें माफ नहीं करते हैं और सड़कों पर आ जाते हैं।
बांग्लादेश में पैदा हुई थी हिंदुस्थान जैसी स्थिति
संजय राऊत ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदुस्थान जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। वहां विपक्ष की आवाज को दबा दिया गया था। चुनाव में घोटाले हुए। विरोधियों को जेल में डाल दिया गया और कई विरोधियों की हत्या तक की गई। संसद में कई भयानक कानून पारित किए गए। लोग महंगाई, बेरोजगारी से जूझ रहे थे और शेख हसीना प्रधानमंत्री के रूप में विफल रहीं। संजय राऊत ने यह भी कहा कि उन्होंने देश के लोकतंत्र की माला तोड़कर तानाशाही के मुताबिक देश चलाया, उसी का यह परिणाम है। इसका देश के शासकों को चिंतन करना चाहिए।