फागुन की बयार लगे प्यारी हमको ।
छाने लगी ये कैसी खुमारी हमको ।।
रंग हरे पीले नीले चटकीले भा गए ।
मेघ खुशियों के अंबर पर छा गए ।।
रंग भाईचारे का इक दूजे को लगाना है ।
चलो आओ मिलकर हमें होली मनाना है ।।
ग़ुलाल, अबीर, टेसू और चंदन ।
शत्रु का भी होगा अभिनंदन ।।
जब निकलेगी गली गली मस्तों की टोली ।
संदेश सौहार्द का देगी, जपेगी प्रेम की बोली ।।
ठंडाई की शीतलता का सबको रसपान कराना है ।
चलो आओ मिलकर हमें होली मनाना है ।।
न कोई तकरार हो, न फूहड़ व्यवहार हो ।
अपनेपन का रंग उड़े और मीठी सी मनुहार हो ।।
रंग मुहब्बत के बरसे ये होली का संदेश है ।
ज्ञान का परचम लहराए, अमनपसंद ये देश है ।।
तहजीब गंगा जमनी है ये सबको दिखाना है ।
चलो आओ मिलकर हमें होली मनाना है ।।
-डॉ. वासिफ काजी, इंदौर