सामना संवाददाता / नई दिल्ली
रात के वक्त जब एक आम इंसान आसमान की ओर देखता है तो उसे सिर्फ चमकते सितारे और चांद दिखाई देते हैं, लेकिन वैज्ञानिक उन सितारों में ऐसे ग्रहों की खोज करते हैं, जहां जीवन की संभावना हो। अब सवाल उठता है कि वैज्ञानिक किसी ग्रह में ऐसा क्या देखते हैं कि उन्हें पता चल जाता है कि इस ग्रह पर जीवन की संभावना है।
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने रणवीर अलाहबादिया के पॉडकास्ट में बताया है। अब तक ५००० एक्सोसोलर प्लैनेट्स की खोज हो चुकी है। उन्होंने बताया कि इनमें से १०० में जीवन की संभावना है। संभवत: इंसान वहां जाकर रह सकते हैं लेकिन वहां पहुंचने के लिए बहुत अधिक स्पीड की जरूरत होगी।
सबसे पहले पानी की तलाश
किसी ग्रह पर जीवन के लिए पानी का होना सबसे महत्वपूर्ण है। दरअसल, पानी जीवन के अधिकांश जैविक प्रक्रियाओं के लिए आवश्यक है। इंसानों से लेकर पेड़ पौधों तक, हर चीज को पनपने के लिए पानी की जरूरत होती है। यही वजह है कि वैज्ञानिक जब किसी ग्रह पर जीवन की संभावना की तलाश करते हैं तो सबसे पहले ये देखना चाहते हैं कि क्या ग्रह की सतह पर या उसके नीचे तरल पानी मौजूद है या नहीं। ग्रह का तापमान और दबाव ऐसे होने चाहिए कि पानी तरल अवस्था में रह सके।
तापमान और वायुमंडल की संरचना
पानी के अलावा वैज्ञानिक, ग्रह के तापमान पर भी ध्यान देते हैं। अगर किसी ग्रह पर तापमान जीवन के अस्तित्व के लिए उपयुक्त है तो इसे ‘गोल्डीलॉक्स जोन’ या ‘रहने योग्य क्षेत्र’ कहा जाता है। इसके अलावा वायुमंडल की संरचना पर भी वैज्ञानिक ध्यान देते हैं। दरअसल, ग्रह के वायुमंडल की संरचना भी जीवन के लिए महत्वपूर्ण होती है। जीवन के लिए अगर अनुकूल वातावरण चाहिए तो इसमें ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन और अन्य गैसों की मौजूदगी जरूरी होती है।