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आदिवासियों की जिंदगी से खिलवाड़…उफनती नदी से शव ले जाने को मजबूर!.. वर्षों से प्रस्तावित पुल के निर्माण का इंतजार

सामना संवाददाता / मुंबई 

मुंबई से सटे रायगढ़ जिले के उरण विधानसभा क्षेत्र में रहनेवाले कई आदिवासी परिवारों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। आदिवासी वाड़ी में रहनेवाले एक शख्स की मौत होने पर गांव के लोगों को उफनती नदी में से शव को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट तक ले जाना पड़ा। उफनती नदी में लोग बह सकते थे, लेकिन गांववालों के पास कोई और रास्ता नहीं था। बताया जाता है कि इस नदी पर पुल निर्माण का भूमिपूजन करीब पांच-छह माह पहले ही किया गया था, लेकिन आज तक काम शुरू नहीं हो पाया है।
जान हथेली पर रखकर अंतिम संस्कार 
जानकारी के अनुसार, उरण विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले खालापुर तालुका के अरकाट वाड़ी निवासी कमल बालू चौधरी का निधन हो गया। चूंकि श्मशान घाट पिरकटवाड़ी में नदी की दूसरे तरफ है, इसलिए आदिवासियों को शव को दाह संस्कार के लिए नदी पार ले जाना पड़ता है। गर्मी या ठंडी के मौसम में तो नदी में पानी कम रहता है, जिससे लोग वैâसे भी करके नदी पार कर लेते हैं, लेकिन बारिश में पानी अधिक होने के कारण नदी पूरे उफान पर आ जाती है। इसी उफनती नदी में गांववाले शव को साथ लेकर श्मशान घाट तक पहुंचे।
वोट के लिए किया भूमिपूजन 
उंबरवाड़ी, पीरकटवाडी और आरतवाड़ी के आदिवासी समुदाय के लोग कई वर्षों से नदी पर ब्रिज बनाने की मांग रहे हैं। उनका कहना है कि क्षेत्र के बच्चे स्कूल आने-जाने के लिए नदी में से होकर जाते हैं, बीमार महिला हो या बुजुर्ग सभी नदी से होकर गुजरते हैं, जिससे जान-माल का खतरा रहता है। इसलिए नदी पर पुल की जरूरत है, लेकिन उरण विधानसभा क्षेत्र के भाजपा समर्थक विधायक ने इस पुल का भूमिपूजन सिर्फ नाम के लिए ही किया है और आज तक भी उस पुल के निर्माण के लिए यहां साधारण पत्थर तक नहीं रखा गया है।

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