• राहुल गांधी को मणिपुर के लोगों से न मिलने देना, तानाशाही है
• ५० दिन बाद भी मणिपुर में हो रही हिंसा पर क्यों चुप हैं पीएम मोदी?
सामना संवाददाता / मुंबई
मणिपुर में जारी हिंसा ५२ दिनों के बाद भी कम नहीं हुई है। यह इस देश और मणिपुर के लोगों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री ने अभी तक इस हिंसा पर एक शब्द भी नहीं कहा है। भारत को एक ऐसा असंवेदनशील प्रधानमंत्री मिला है जो ‘जब रोम जल रहा था तब नीरो बांसुरी बजा रहा था’ की प्रवृत्ति से भी ज्यादा असंवेदनशील है। इससे पूरा देश शर्मसार है, ऐसा महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार खुद कुछ नहीं कर रही है और अब विपक्ष के नेता राहुल गांधी जब मणिपुर की जनता का हाल जानने के लिए पहुंचे तो उन्हें वहां के लोगों से मिलने नहीं दिया गया। यह मोदी सरकार की तानाशाही का एक बड़ा उदाहरण है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को मणिपुर के लोगों से मिलने से रोकने के लिए मोदी सरकार की कड़ी निंदा करती है। मणिपुर के लोग केंद्र सरकार से मदद का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन पीएम मोदी मणिपुर को जलता हुआ छोड़कर अमेरिका के दौरे पर चले गए। कांग्रेस नेता राहुल गांधी जब मणिपुर के लोगों का दर्द जानने पहुंचे तो उन्हें सड़क मार्ग से जाने की इजाजत दी गई। राहुल गांधी का स्वागत करने के लिए मणिपुर के लोग बड़ी संख्या में उमड़ पड़े। उनकी लोकप्रियता को देखकर भाजपा सरकार डर गई और उनके काफिले को वापस भेज दिया। पुलिस ने उन्हें वापस भेजने के बाद स्थानीय लोगों पर आंसू गैस के गोले भी छोड़े। नाना पटोले ने कहा कि मणिपुर अभी भी जल रहा है क्योंकि वहां के लोगों को भाजपा और मोदी सरकार पर भरोसा नहीं है। मणिपुर के मौजूदा हालात के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार जिम्मेदार है। पुलिस स्टेशनों पर हमले कर हथियार लूटे जा रहे हैं। पूजा स्थलों को जलाया जा रहा है। बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ है लेकिन मनमानी, मनमौजी और अड़ियल प्रवृत्ति की केंद्र सरकार मणिपुर को आग में झोंक कर भाषणों, आयोजनों और विज्ञापनों में व्यस्त है।