कविता

कविता
वह लड़ाई है
जिससे बनता है
हवा
मौसम
संस्कार
बेहतरी का।
और कर देती है
परिवर्तन
विचार में
भाव में
क्रिया में
जीवन में।
खुद ब खुद
अपने प्रभाव से।
कविता करती है
हलचल
दिमाग में
व्यक्ति में
समाज में
राष्ट्र में।
और लाँघ जाती है
सीमा
राष्ट्र की
विश्वबंधुत्व कहकर।
फैला देती है
मानवता
नैतिकता
लोकमंगल
अपने स्वभाव से।।
लोग
चिंतक विचारक
ज्ञानीजन कहते हैं
स्वभाव से इतर
जो कविता होती है
वह कविता नहीं
साजिश है
कविता के खिलाफ।
हम कहते हैं
कविजन सावधान।
हटाते रहो
व्यवधान।
करते रहो
समाधान
शंका का
अनवरत।।
होगा मंगल
असली शुभ लाभ
एक दिन
अवश्य ।।

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