कविता: अपना भारत

खुशियों भरा खजाना भारत,
कुदरत का नजराना भारत।
हरे-भरे हैं खेत-खलिहान,
लगता बड़ा सुहाना भारत।
निज वीर जवानों की खातिर,
गाता मस्त तराना भारत।
सदियों से सारी दुनिया में,
है जाना-पहचाना भारत।
कहीं घूम लें हम जग भर में,
अपना एक ठिकाना भारत।
सभ्यता कई जन्मीं हों पर,
अपना बड़ा पुराना भारत।
विश्व विजय निज हुआ तिरंगा,
इसका मान बढ़ाना भारत।
मिले ताल से ताल धरा पर,
आगे कदम बढ़ाना भारत।
सबका साथ सभी का विकास,
वादा यही निभाना भारत।
दुश्मन जब भी ललकारे तो,
उससे आंख मिलाना भारत।
– गोविन्द भारद्वाज, अजमेर, राजस्थान

अमर शहीदों को आओ नमन करें
आइए नमन करें उन जांबाज अमर शहीदों को
मेरे देश के महान शहीदों
तेरे खून का एक-एक कतरा,
हम यूं ही व्यर्थ न जाने देंगे
तेरा हम पर उपकार है।
यह सतत संकल्प लेते रहेंगे।
इस मिट्टी के हम ऋणी हैं,
तेरे खून से लाखों सेनानी पैदा होंगे।
और अपनी जान देकर चुकाएंगे
हम अपना कर्तव्य निभाएंगे।
तेरा मस्तक ऊंचा उठाएंगे।
अशोक पटेल `आशु’
शिवरीनारायन,छत्तीसगढ़

सबसे प्यारा देश हमारा
यह देश है हमारा
प्राणों से भी प्यारा
इस पर निछावर करें
अपना तन-मन सारा।
तम में यह उजियारा
सूरज, चांद, सितारा
इससे बहे प्रेम की
अविरल निर्मल धारा।
दुश्मन ने ललकारा
बन गया यह शरारा
कर जीत पर विश्वास
समर में कभी न हारा।
इसने हमको तारा
जीवन को संवारा
डगमगाई जब तरणि
इसने पार उतारा।
नलिन खोईवाल, इंदौर

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