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कविता:भारत के वीर जवान

हे भारत के वीर जवान, तुम सबको है सादर प्रणाम,
भारत माता के हृदय पर लिखा है तुम सच्चे सपूतों का नाम,
तेरे अनुपम त्याग से ही हम सुखी जीवन बिताते हैं,
तेरे अदम्य साहस से हम सुरक्षित रह पाते हैं,
तेरी हिम्मत और वीरता पर टिकी है हमारी जीवन रेखा,
कर्तव्य निभाने की खातिर तूने न कभी दिन रात देखा,
हम बैठे होते हैं घरों में तुम झेल रहे होते हो गोली,
न कोई त्यौहार तुम्हारा चाहे हो दीवाली या होली,
न परिवार की चिंता न किसी प्रकार का तुमको भय,
तुम्हारे त्याग समर्पण से ही भारत देश हुआ निर्भय,
कश्मीर की ऊंची पहाड़ियां हों या राजस्थान का गर्म रेगिस्तान,
हर हाल में हर परिस्थिति में रखते अपने प्यारे तिरंगे की शान,
कितने दुश्मन आएं नहीं हटते भले सो जाते संगीन पर रख माथा,
कश्मीर से लेकर अरुणाचल तक फैली है तुम्हारी शौर्य गाथा,
भारत भूमि की रक्षा करते तुममें से कई हुए कुर्बान,
धन्य है मातृभूमि पर किया गया तुम्हारा ये बलिदान,
तुम्हारे बलिदानों के दम पर ही हम आजाद सांस ले पाते हैं,
चहुं ओर दुश्मनों से घिरे होने पर भी खुद को सुरक्षित पाते हैं,
देश की रक्षा की खातिर जो अपना सर्वस्व समर्पण करते हैं,
भारत मां के सच्चे सपूतों को हम श्रद्धा सुमन अर्पण करते हैं,
धन्य तुम्हारी शौर्य गाथा और धन्य है तुम्हारा बलिदान,
हे भारत के वीर जवान तुमको है सादर प्रणाम।।
– मुकेश कुमार सोनकर
रायपुर, छत्तीसगढ़

हर सुबह
हर सुबह नया साल है।
हर सुबह नया जीवन है।
हर सुबह नया मौका है।
हर सुबह बेशकीमती है।
हर सुबह नई हवा है।
हर सुबह नई सांस है।
हर सुबह नई मुस्कान है।
हर सुबह सूरज का चमकना है।
हर सुबह कली का खिलना है।
हर सुबह परिंदो का चहकना है।
हर सुबह नई खुशी है।
हर सुबह नया आनंद है।
हर सुबह प्रभु कृपा है।
हर सुबह ईश- अनुकंपा है।
हर सुबह शुक्रिया करना है।
हर सुबह शुभ ही शुभ है।
हर सुबह जय-जयकार है।
हर सुबह सुस्वागतम होना है।
-आर.डी.अग्रवाल `प्रेमी’ मुंबई

कुछ तो कहो
देख तुझे दिल-नशीन है
मौसम कितना हसीन है
कुछ तो कहो।
दुनिया में सब मुमकिन है
अपने पर यदि यकीन है
कुछ तो कहो।
वो खिलखिलाता यौवन है
याद आते वो पलछिन है
कुछ तो कहो।
महकता हुआ उपवन है
खुशबू से तर जीवन है
कुछ तो कहो।
– नलिन खोईवाल, इंदौर
फर्क होता है।
फर्क होता है
अपने और पराए में…
फर्क होता है
`अपना’ कहने में और मानने में
फर्क तो होता है
`बेटी’ कहने में और `बेटी’ मानने में
फर्क होता है बहुत,
`बहू’ को वास्तव में `बेटी’ बनाने में
बादल `जो गरजते हैं वो बरसते नहीं’
सिर्फ गरजने में और `नहीं बरसने में’
यकीन जानों `खूब फर्क’ होता है
`बड़ा बनना और बड़ा होना
दो अलग-अलग पहलू हैं लोगों
उम्र में बड़े भी `कर्मों से मात खा जाते हैं’
जबकि छोटे छोटे तारे भी
सूरज को सबक सिखा जाते हैं।
`कथनी और करनी’ में
बड़ा ही फर्क होता है
जिंदा तो हम सारे लगते हैं
मगर जिंदा लगने और
`वास्विक जीवन’ जीने में
जमीन आसमान का फर्क होता है।‌
सही मायने में जीना है तो
इस फर्क को मिटाना होगा
जिंदगी को जिंदगी मानकर जीना होगा
केवल `वक्त काटने’ या `टाईम पास’ का नाम नहीं है जिंदगी
-नैंसी कौर’, नई दिल्ली

जीवन है तो
यह जीवन है तो सब है
इच्छा, सपना, ख्वाब
उम्मीद, अभिलाषा
और सक्रियता भी
मगर महत्वाकांक्षा के आते ही
लड़खड़ा जाता है चरित्र
कर लेता है समझौता
दबाव से और गिर जाता है
खाई में विचारहीनता के
जहां से शुरू होता है
एक नया जीवन
लबालब भरा हुआ
पश्चाताप से विश्वासघात के
जीवन के हर कोण पर
जिसे ढोना पड़ाता है
दबाकर सीने में हर क्षण
हर पल शायद मृत्युपर्यंत
– अन्वेषी

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