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काव्य रचना शीर्षक – कौन हो तुम

यह ख्वाबों में तुम आते हो
यह मेरे दिल को बहलाते हो
ना जाने कौन हो तुम
जो मेरे पास हर रोज आते हो।
मेने सोचा ना था तुम मेरे होगे
पर मुकद्दर का फैसला समझूं
यह अपने अच्छे कर्मों का फल
आज तुम मेरे हो मेरे अपने हो।
खुशी की यह अंगड़ाई जीवन में तुम्हीं से है
ज़िन्दगी के हर एक पहेलू में तुम हो
तुम मेरा नसीब हो या मेरा मुकद्दर
यह प्यार के हर एक पल बस तुम्हीं से है।
यह ख्वाबों में तुम आते हो
यह मेरे दिल को बहलाते हो
ना जाने कौन हो तुम
जो मेरे पास हर रोज आते हो।।

लेखक- हरिहर सिंह चौहान इन्दौर मध्यप्रदेश

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