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पूर्वोत्तर की हवा में घुलता जहर! …पूरे ‘सेवन सिस्टर्स’ में फैल सकती है मणिपुर की आग

• केंद्र के ढीले रवैए से अन्य राज्यों में भी बढ़ेंगी मुश्किलें

मणिपुर को सुलगते लगभग तीन महीने होने को आए पर अभीतक मामला शांत नहीं हुआ है। इसका प्रमुख कारण सीएम एन बीरेन सिंह का ढीला-ढीला रवैया। जिस कड़ाई से राज्य में उपद्रवियों पर कार्रवाई करनी चाहिए थी, उसमें वे असफल रहे। उनकी हालत जलते रोम में बांसुरी बजाते नीरो जैसी ही कही जाएगी। दुनिया की चिंता में डूबे पीएम मोदी ने भी मणिपुर सरकार ऊपरवाले के भरोसे छोड़ दिया। इसका परिणाम यह हुआ कि मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच सुलगती आग अब पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी पैâलने लगी है। ऐसा इसलिए क्योंकि पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में इन दोनों समुदाय के लोग रहते हैं।
मिजोरम से मैतेयी लोगों को धमकी दिए जाने के बाद उनका पलायन शुरू हो गया है। ऐसे में रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह बहुत ही गंभीर मसला होता जा रहा है। इसी तरह मणिपुर छोड़ने वाले लोगों के लिए असम में शरणार्थी वैंâप तक बना दिए गए हैं।
वीडियो ने बढ़ाया तनाव
रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि हालात तो पहले से ही बदहाल थे, लेकिन वीडियो के वायरल होने के बाद तनाव बढ़ा है और स्थितियों को और ज्यादा कंट्रोल करने की जरूरत है। रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञ और लंबे समय तक पूर्वोत्तर में सेवाएं देने वाले कर्नल (रि.) आरएन लांबा कहते हैं कि मणिपुर के जिन दो समुदायों में विवाद चल रहा है, वह सिर्फ मणिपुर तक ही सीमित नहीं है। उनका कहना है कि इस समुदाय के लोग आसपास के राज्यों मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और असम के भी कुछ हिस्सों समेत अरूणाचल प्रदेश में भी रहते हैं। कर्नल लांबा कहते हैं कि जिस तरीके से मणिपुर में वीडियो वायरल होने के बाद मिजोरम से एक समुदाय के लोगों का पलायन शुरू हुआ है, वह चिंता का विषय है।
खुफिया एजेंसी से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी मानते हैं कि जिन दो समुदायों को लेकर मणिपुर में विवाद चल रहा है, उसी समुदाय के कुछ और लोग आसपास के राज्यों में भी रहते हैं। इसलिए उन राज्यों के पुलिस विभाग समेत स्थानीय खुफिया एजेंसियों को भी अलर्ट पर रखा गया है, ताकि वह पूरी गतिविधि पर नजर बनाए रखें। मणिपुर के मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखने वाले हेरेन कहते हैं कि उनके समुदाय से जुड़े हुए लोग अब मणिपुर के आसपास के राज्यों से या तो पलायन कर रहे हैं या फिर खौफ में जी रहे हैं। वह कहते हैं कि यह स्थितिं बेहतर बिल्कुल नहीं है। जिस तरीके से राज्य सरकार ने मणिपुर में लापरवाही बरती, उसका खामियाजा आज सभी लोगों को उठाना पड़ रहा है। रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि हालात काबू नहीं किए गए, तो सुलग रहे मणिपुर का असर निश्चित तौर पर पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों में भी देखने को मिलेगा। इसके पीछे विशेषज्ञों का अपना तर्क है।

ड्रग्स कार्टेल का खेल
रक्षा मामलों से जुड़े विशेषज्ञ और पूर्वोत्तर में खुफिया एजेंसियों से जुड़े रहे एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि इस पूरे मामले में सिर्फ जातिगत समुदाय की लड़ाइयां ही माहौल नहीं खराब कर रहीं हैं, बल्कि ड्रग्स कार्टेल भी मणिपुर और पूर्वोत्तर के राज्यों के हालात को खराब कर रहे हैं। इसलिए वहां के हालात को अब जल्द से जल्द दुरुस्त करना पूर्वोत्तर के राज्यों में शांति बहाली की पहल होगी।

अलर्ट मोड में असम
असम प्रशासन भी बीते कुछ दिनों से सीमाई इलाकों का दौरा कर रहा है और लोगों की सुविधा के लिए सभी जरूरी निर्देश भी दे रहा है। जानकारी के मुताबिक मणिपुर से असम पहुंचे कुछ लोग अपने रिश्तेदारों के घर ठहरे हुए हैं, वहीं अन्य ने विभिन्न वैंâपों में शरण ली हुई है। ये वैंâप विभिन्न प्राइमरी स्कूलों और कम्युनिटी हॉल्स में लगाए गए हैं। शरणार्थियों को राशन मुहैया करा दिया गया है। चाचर के एसपी नुमुल महातो कहते हैं कि सीमाई इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, ताकि हिंसा की कोई घटना न होने पाए। असम के दो जिले चाचर और दिमा हसाओ मणिपुर के साथ २०० किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।

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