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माता-पिता बनने की उम्मीद पर पानी फेर रही है जहरीली हवा! …प्रदूषण से प्रजनन समस्या में आई तेजी


– शोध में हुआ खुलासा

सामना संवाददाता / मुंबई
आजकल बांझपन एक आम समस्या बनती जा रही है। हालांकि, अब तक इस समस्या के लिए महिलाओं को अधिक जिम्मेदार माना जाता था। लेकिन अब पुरुषों में बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है। अध्ययन में खुलासा हुआ है कि लंबे समय तक जहरीली हवा के संपर्क में रहने से महिलाओं के साथ ही पुरुषों में भी बांझपन का खतरा बढ़ सकता है। प्रदूषण दो दशक में काफी तेजी से बढ़ा है। वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने वाले पुरुषों में इस प्रकार के विकारों का खतरा अधिक हो सकता है।
बीएमजे जर्नल में प्रकाशित डेनमार्क स्थित नॉर्ड यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन की रिपोर्ट के आधार पर स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी है, विशेषतौर पर दिल्ली और मुंबई में रहने वालों को और भी सावधानी बरतने की जरूरत है। इस अध्ययन में कहा गया है कि वायु प्रदूषण खासकर पीएम २.५ हमारे स्वास्थ्य के लिए गंभीर समस्याकारक है। इससे सांस से संबंधित बीमारियां तो बढ़ती ही हैं। साथ ही ये प्रजनन विकारों के लिए भी बड़ा कारण है। पीएम २.५ का संपर्क पुरुषों में नपुंसकता के खतरे को बढ़ा रहा है। इसी तरह ध्वनि प्रदूषण महिलाओं में बांझपन के उच्च जोखिम से जुड़ा हुआ पाया गया है। वैज्ञानिकों ने बताया हर सात में एक दंपति को प्रजनन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने ३० से ४५ वर्ष की आयु के ५,२६,०५६ पुरुषों और ३,७७,८५० महिलाओं के डेटा का विश्लेषण किया, जिनके दो से कम बच्चे थे। सभी प्रतिभागियों के घर के आसपास समय-समय पर पीएम २.५ प्रदूषण की औसत मात्रा दर्ज की गई।
३८,८४४ लोगों में मिली समस्याएं
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने १६,१७२ पुरुषों और २२,६७२ महिलाओं में प्रजनन समस्याओं का निदान किया। जिन प्रतिभागियों के निवास क्षेत्रों में पीएम २.५ का स्तर अधिक था ऐसे ३० से ४५ वर्ष की आयु के पुरुषों में नपुंसकता का खतरा २४ फीसदी बढ़ गया। इसके अलावा सड़क यातायात और अन्य प्रकार से होनेवाले शोर का महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर असर देखा गया। पांच वर्षों में औसत से १०.२ डेसिबल अधिक शोर के स्तर के संपर्क में आने से ३५ वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में बांझपन का खतरा १४ फीसदी बढ़ गया।

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